Khatu Shyam : बाबा खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है और यह श्रद्धालुओं की आस्था का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। देशभर से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लाखों भक्त हर साल दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। अब ऐसे ही भक्तों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है—रेल मंत्रालय ने खाटू श्याम मंदिर तक सीधी रेल सेवा शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।
इस पहल के तहत रींगस से खाटू श्याम मंदिर तक 17 किलोमीटर लंबी नई रेलवे लाइन परियोजना को मंजूरी दी गई है। यह जानकारी खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर के दौरान साझा की। इस नई रेल लाइन के माध्यम से श्रद्धालुओं को अब सीधे ट्रेन से मंदिर तक पहुंचने की सुविधा मिलेगी, जिससे यात्रा और भी सरल, तेज और सुविधाजनक हो जाएगी।
रींगस से मंदिर तक अब सीधी ट्रेन सुविधा
अभी तक खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए यात्रियों को रींगस रेलवे स्टेशन तक पहुंचना होता था, जो इस क्षेत्र का प्रमुख जंक्शन है। दिल्ली से रींगस के लिए फिलहाल आठ जोड़ी मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें संचालित हो रही हैं, जिनमें से तीन जोड़ी ट्रेनें प्रतिदिन चलती हैं। लेकिन मंदिर तक कोई सीधा रेल मार्ग नहीं था। अब 254 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस नई रेल लाइन से ये कमी पूरी हो जाएगी। इसके लिए वर्ष 2025-26 के लिए 43 करोड़ रुपये का बजट भी निर्धारित किया गया है और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
बढ़ती भीड़ ने बताई ज़रूरत
रेल मंत्री ने यह भी बताया कि साल 2024-25 में दिल्ली और रींगस के बीच करीब 4.98 लाख आरक्षित यात्रियों ने यात्रा की, जबकि 2025-26 (जून तक) यह आंकड़ा 1.25 लाख पहुंच गया। ट्रेनों में सीटों की तुलना में ज्यादा यात्रियों के सफर करने से यह स्पष्ट है कि खाटूधाम तक सीधी रेल सेवा की मांग तेजी से बढ़ रही थी।
खाटूधाम को मिलेगा नया आध्यात्मिक और डिजिटल स्वरूप
खाटूधाम के विकास के लिए एक और महत्वपूर्ण पहल की गई है। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन योजना 2.0 के तहत खाटूधाम आध्यात्मिक सर्किट परियोजना के लिए 40.08 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। इस राशि का उपयोग श्रद्धालुओं के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित करने में किया जाएगा।
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इस परियोजना के अंतर्गत श्रद्धा पथ, पर्यटन सूचना केंद्र, कथा पंडाल, डोम, पार्क, डिजिटल गाइडेंस सिस्टम, कैफेटेरिया, और एक अत्याधुनिक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर जैसी सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। इस योजना की शुरुआत 11 अगस्त 2025 से की जाएगी और इसे 10 जून 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका कार्यान्वयन मैसर्स महेश चंद गुप्ता, अलवर को सौंपा गया है।