नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। सूर्य ग्रहण से चंद घंटे पहले म्यांमार, थाइलैंड से लेकर भारत और बांग्लादेश में भूकंप के झटके से धरती कांप गई। म्यांमार और थाइलैंड के बड़े शहरों में भयानक तबाही हुई है और हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। इससे हले भी चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के आसपास भुकंप आया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकाई में ग्रहण और भूकंप का कोई कनेक्शन होता है?। क्या भूकंपीय और खगोलीय घटना में कोई संबंध है?। … तो हम आपको अपने इस खास अंक में इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
भूकंप ने निकल ली हजारों लोगों की जान
यांमार, थाइलैंड से लेकर भारत और बांग्लादेश में भूकंप के झटके महसूस किए। सबसे ज्यादा ताबही म्यांमार और पड़ोसी देश थाईलैंड में देखने को मिली। फिलहाल यहां की सरकरों ने 1000 लोगों की मौत की पुष्टि की है। जबकि अमेरिकी भूगर्भ एजेंसी ने 10 हजार से ज्यादा मौतों की आशंका जताई है। अचानक आई इस आपदा के बाद म्यांमार ने आपातकाल लगा दिया गया है। वहीं भूकंप से प्रभावित म्यांमार की मदद के लिए भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत राहत सामग्री भेजी है। वायुसेना का विमान सी-130 जे करीब 15 टन राहत सामग्री लेकर यांगून पहुंच गया है। फिलहाल भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत-बचाव का कार्य जारी है।
इतने बजे से लगेगे सूर्य ग्रहण
साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च दोपहर 2 बजकर 20 मिनट पर लगेगा। सूर्य ग्रहण समाप्त शाम 6 बजकर 13 मिनट पर होगा। यह सूर्य ग्रहण आंशिक होगा, जो कि भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। 2025 का पहला सूर्य ग्रहण यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। बता दें कि हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ समय नहीं माना गया है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। दरअसल, ग्रहण में वातावरण की किरणें नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं, इसलिए खाना बनाना और खाना दोनों ही मना होता है।
सूर्य गृहण से पहले हिली धरती
सूर्य ग्रहण लगने से ठीक पहले धरती हिल गई है। जिसके कारण हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इससे पहले भी सूर्य ग्रहण-च्रंद्र ग्रहण लगने से पहले भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। कई बार ऐसा संयोग बना है कि ग्रहण के 40 दिन पहले या बाद में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। 8 अप्रैल 2024 को पुर्ण सूर्य ग्रहण था। तभी अमेरिका के ईस्ट कोस्ट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। तभी इसको लेकर सवाल उठे थे।
बदलाव से पृथ्वी पर असर पड़ता है
पुराने समय में और भारतीय ज्योतिष शास्त्र में भी ऐसा माना जाता है कि तारे और ग्रह अपनी जगह पर स्थिर रहते हैं और इनकी स्थिति में होने वाले किसी भी बदलाव से पृथ्वी पर असर पड़ता है। चंद्र और सूर्य ग्रहण को कई बार प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप और सुनामी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। सोशल मीडिया पर आपको कई ऐसे पोस्ट मिल जाएंगे, जिनमें सूर्य, चंद्रमा और दूसरे ग्रह की पोजिशन के आधार पर भूंकपीय घटना और ज्वालामुखी फटने तक को लेकर अनुमान लगाए जाते रहे हैं।
सिद्धांत रूप में, यह संभव
कई सदियों तक वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के टेक्टोनिक एक्टिविटी पर चंद्रमा के प्रभाव के बारे में अनुमान लगाए। ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, भूकंप तब आते हैं जब किसी फॉल्ट पर तनाव फॉल्ट टूटने की महत्वपूर्ण सीमा से अधिक हो जाता है। सिद्धांत रूप में, यह संभव है कि गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के परिणामस्वरूप होने वाला अपलिफ्ट उन सामान्य स्ट्रेस को कम कर सकता है जो फॉल्ट को एक साथ रखते हैं। सोशल मीडिया में ऐसे तर्क दिए जा रहे हैं कि 28 मार्च को आए भूकंप का कहीं न कहीं कनेक्शन 29 मार्च को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण से हैं।
संभावना को और मजबूत कर दिया
2016 में पब्लिश एक रिसर्च में भूकंप और ज्वार पर चंद्रमा के प्रभाव के बीच संभावित संबंध का पता चलता है। चिली, कैलिफ़ोर्निया और जापान में बड़े भूकंपों की फ्रीक्वेंसी का अध्ययन करते हुए, लेखकों ने देखा है कि अमावस्या या पूर्णिमा के दौरान 5 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप आने की अधिक संभावना होती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं। और अब 29 मार्च 2025 को आए भूकंप से ठीक एक दिन पहले म्यांमार और थाइलैंड में आए भूकंप ने इस संभावना को और मजबूत कर दिया है।
जिससे इसका प्रभाव व्यापक हुआ
म्यांमार में भूकंप की तीव्रता 7.7 डिग्री की थी, जिसके कारण बैंकोक की धरती भी डोली। जानकार बताते हैं कि म्यांमार में भूकंप Sagaing Fault के कारण आया। ैंSagaing Fault एक टेक्टोनिक प्लेट सीमा है, जहां Burma और Sunda प्लेट्स एक-दूसरे के खिलाफ खिसकती हैं। यह एक भूगर्भीय घटना है, जो पृथ्वी की सतह के नीचे तनाव के रिलीज होने से होती है। USGS के अनुसार, इसका केंद्र Mandalay से 17.2 किमी दूर था और गहराई सिर्फ 10 किमी थी, जिससे इसका प्रभाव व्यापक हुआ।
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना
दूसरी ओर 29 मार्च 2025 को होने वाला सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। यह तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है, जिससे सूर्य का प्रकाश आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो उत्तरी अमेरिका, यूरोप, और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। यह Saros serie 149 का हिस्सा है और इसका पृथ्वी की टेक्टोनिक गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है।
पर यह महज एक संयोग
कुछ लोग मानते हैं कि ग्रहण के दौरान ग्रहों की स्थिति से gravitational pull में बदलाव भूकंप को ट्रिगर कर सकता है। सच यह है कि सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा का gravitational प्रभाव थोड़ा बढ़ता है, लेकिन यह बदलाव इतना मामूली होता है (लगभग 0.0000005 फीसदी पृथ्वी के कुल गुरुत्वाकर्षण का) कि यह टेक्टोनिक प्लेट्स पर कोई खास असर नहीं डालता। हालांकि, 28 मार्च का भूकंप और 29 मार्च का ग्रहण समय के करीब होने से संयोगवश चर्चा हो सकती है, पर यह महज एक संयोग है।