नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने देश से नक्सलवाद के खात्में की आखिरी तारीख मार्च 2026 मुकर्रर कर दी है। जिसके बाद सुरक्षाबलों फुल एक्शन में हैं और लगातार जंगल-पहाड़ों पर ऑपरेशन चलाए हुए हैं। अकेले छत्तीसगढ़ में इस वर्ष 125 से अधिक माओवादी एनकाउंटर में ढेर किए जा चुके हैं। बड़े पैमाने पर नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। लेकिन इसकी असल शुरूआत अक्टूबर 2024 में हुई थी, जब सुरक्षाबलों ने तेलंगाना से एक महिला नक्सली को गिरफ्तार कियया। ये महिला नक्सली कोई और नहीं बल्कि 1 करोड़ की इनामी सुजाता थी। सुजाता के पकड़े जाने के बाद नक्सलवाद कमजोर पड़ा। अब ‘गैंग्स ऑफ लाल आतंक’ के अंतिम सेनापति हिडमा सुरक्षाबलों की रडार पर है। कभी भी उसकी गिरफ्तारी य एनकाउंटर में मारे जानें की खबर सामने आ सकती है।
पुलिस ने सुजाता को दबोच लिया
देश के कई राज्यों में नक्सली जंगलों में बारूद की फसल उगाते आ रहे हैं। मोओवादी जंगल-पहाड़ से बैठकर खुद की सरकार चलाते थे। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद माओवाद के खात्मे का रोडमैप तैयार किया गया। सुरक्षाबलों को आधुनिक हथियारों से लैस कर ऑपरेशन के लिए उतार दिया गया। इसी कड़ी में माओवाद की सबसे बड़ी लीडर सुजाता को तेलंगना से पुलिसबल के जवानों ने अरेस्ट कर लिया। सुजाता नक्सलियों के बस्तर डिवीजन कमेटी की प्रभारी थी। उसने सुकमा इलाके में कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया था। सुजाता कई राज्यों में वांटेड भी थी। बताया जा रहा है कि अक्टबूर 2024 में वह बीमार पड़ गई। वो अपने इलाज के लिए छत्तीसगढ़ से निकलकर तेलंगाना के कोत्तागुड़म पहुंची थी। सटीक सूचना पर पुलिस ने सुजाता को दबोच लिया।
वीरप्पन की तरह बस्तर के जंगल में करती थी राज
जानकार बताते हैं कि काफी कम उम्र में ही सुजाता ने हिंसा का रास्ता चुन लिया था। एक वक्त था जब वीरप्पन की तरह सुजाता बस्तर के जंगल में राज किया करती थी। इसी महिला नक्सली ने खूंखार नक्सली हिड़मा को ट्रेनिंग भी दी थी। कहते है कि सुजाता ने ही हिड़मा को बंदूक और दूसरे हथियार चलाना सिखाया था। बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिले में कई वारदातों में सुजाता शामिल थी। सुजाता पर एक करोड़ का इनाम सरकार की तरफ से घोषित किया गया था। हिडमा को सुजाता ने नक्सलवाद का सबसे बड़ा विलेन बनाया। हिडमा ने दो सौ से अधिक सुरक्षबलों के जवानों की हत्या कर सनसनी मचा दी। हिडमा सुकमा का रहने वाला है। अब नक्सलियों की राजधानी पूवर्ती गांव में सुरक्षाबलों का ढेरा है। हिडमा सुकमा से भाग गया है। सुरक्षाबल के जवान हिडमा को ठिकाने लगाने को लेकर ऑपरेशन चलाए हुए हैं।
सुजाता काफी पढ़ी लिखी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नक्सली सुजाता काफी पढ़ी लिखी है। बांगला के अलावा उसे हिंदी, अंग्रेजी, ओडिया, तेलुगु, गोंडी और हल्बी बोली भी आती है। सुजाता बड़े नक्सली लीडर रहे कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी की पत्नी है। किशनजी के साथ वह बंगाल से 80 के दशक में बस्तर आई थी। बाद में किशनजी को बंगाल का प्रभार दिए जाने के बाद कुछ समय वह बंगाल में भी रही। 2010-2011 में उसने दक्षिण बस्तर डिविजन का प्रभार संभाला था। नक्सल संगठन में महिलाओं की भर्ती कराने में सुजाता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सुजाता को हार्डकोर नक्सल नेता माना जाता है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सामान्य तौर पर पति की मौत के बाद महिला नक्सली संगठन छोड़ दिया करती हैं, पर सुजाता ने समर्पण नहीं किया। सुजाता का देवर सोनू उर्फ भूपति संगठन में सेंट्रल कमेटी सदस्य है।
घटनाओं के पीछे मास्टरमाइंड सुजाता ही रही
नक्सली नेता सुजाता तेलंगाना के जोगुलंबा गढ़वाल जिले के गाजू मंडल के पेंचीकालपेट गांव की रहने वाली है। नक्सल संगठन में उसके कई नाम प्रचलित है। उसे पद्मा, कल्पना, सुजाता, सुजातक्का, बंगाल में पद्मा, महाराष्ट्री में मैनीबाई के नाम से भी जाना जाता है। बस्तर में हुए सभी बड़े हमलों के पीछे थिंक टैंक सुजाता ही रही है। अप्रैल 2010 में ताड़मेटला में 76 जवान बलिदान, 2010 गादीरास 36, झीरम 2013 कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा पर हमले में 31, 2017 चिंतागुफा में 25 जवान, मिनपा में 17 जवान, टेकुलगुड़ेम में 21 जवान के बलिदान होने की नक्सल घटनाओं के पीछे मास्टरमाइंड सुजाता ही रही। जानकार बताते हैं कि सुजाता आजाद भारत की दुसरी वीरप्पन थी। वह गुरिल्ला युद्ध में माहिर थी। सुजाता ने ही नक्सलियों को गुरिल्ला युद्ध में माहिर बनाया। सुजाता के बारे में कहा जाता है कि ये आंख बंद करके अपने टारगेट को गोली से गिराने का मद्दा रखती है। 60 साल की उम्र में भी सुजाता नक्सलवाद के बीज तैयार कर रही थी।