Republic Day 2025 : भारत के 76वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर आयोजित परेड में पशुपालन और डेयरी विभाग की झांकी ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस झांकी की सबसे खास झलक मोटरसाइकिल पर दूध बेचती लड़की रही, जिसने यह संदेश दिया कि खेती-किसानी और पशुपालन केवल पुरुषों का कार्य नहीं रहा। महिलाएं भी इन क्षेत्रों में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभा रही हैं और अच्छा मुनाफा कमा रही हैं।
पशुपालन विभाग की झांकी ‘स्वर्णिम भारत की विरासत और विकास’ थीम पर आधारित थी। झांकी के अग्रभाग में दूध के बर्तन से बहते श्वेत क्रांति 2.0 को दिखाया गया, जो दुग्ध उत्पादन में भारत की शीर्ष स्थिति का प्रतीक है। झांकी के बीच वाले हिस्से में पंढरपुरी भैंस को बछड़े के साथ प्रदर्शित किया गया। यहां एक महिला किसान को भैंस की देखभाल करते और एक पशु चिकित्सक को खुरपका और मुंहपका रोग से बचाव का टीका लगाते दिखाया गया। इसके अलावा, दो महिलाओं को पारंपरिक ‘बिलोना’ विधि से घी मथते हुए भी प्रदर्शित किया गया।
कामधेनु गाय का हुआ पवित्र चित्रण
झांकी के अंतिम भाग में कामधेनु या सुरभि गाय का चित्रण किया गया। भारतीय पौराणिक कथाओं में कामधेनु को पवित्र माना जाता है और इसे ग्रामीण समृद्धि का प्रतीक समझा जाता है। झांकी ने इस तथ्य को उजागर किया कि स्वदेशी गायों से प्राप्त दूध, घी और दही जैसे डेयरी उत्पाद ग्रामीणों के जीवनयापन और भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दे रही है। हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि महिलाएं खेती और पशुपालन के क्षेत्र में रुचि ले रही हैं और अपने परिवारों के लिए अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। इसी दिशा में सरकार ने महिलाओं के लिए ‘लखपति दीदी’ जैसी योजनाएं शुरू की हैं।
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इसके अलावा, प्रगतिशील महिला किसानों और पशुपालकों को पुरस्कार और प्रोत्साहन राशि देकर प्रेरित किया जा रहा है। झांकी के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकती है। यह झांकी भारत के स्वर्णिम भविष्य और आत्मनिर्भर ग्रामीण समाज की झलक प्रस्तुत करती है।