क्यों लिया गया यह फैसला?
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब चीन की अर्थव्यवस्था दबाव में है, रियल एस्टेट सेक्टर सुस्ती झेल रहा है और आर्थिक विकास दर भी उम्मीद से कम है। सोने पर वैट छूट हटाने से सरकार के राजस्व में इजाफा होगा। हालांकि, इससे आम उपभोक्ताओं के लिए सोना खरीदना महंगा हो जाएगा।
चीन दुनिया का सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है, इसलिए वहां की कीमतों में बढ़ोतरी का असर वैश्विक बाजार पर भी पड़ेगा। कीमतें बढ़ने से थोड़े समय के लिए सोने की मांग घट सकती है, जिससे ग्लोबल लेवल पर प्रेशर देखने को मिल सकता है।
क्या कहता है नया नियम ?
नए नियमों के तहत, अगर निवेश के उद्देश्य से एक्सचेंज से सोना खरीदा जाता है और गोदाम से उसकी डिलीवरी ली जाती है, तो एक्सचेंज रिफंड जारी करेगा। लेकिन यदि वही सोना प्रोसेसिंग के बाद बार या सिक्कों के रूप में बेचा जाता है, तो उस पर वैट देना होगा और इस स्थिति में रिफंड नहीं मिलेगा।
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साथ ही, यदि कोई सदस्य निवेश के अलावा किसी अन्य उद्देश्य से सोना खरीदता है, तो वह 6 प्रतिशत वैट रिफंड का दावा कर सकता है। इसी तरह, यदि कोई ग्राहक सीधे एक्सचेंज से सोना खरीदता है, तो उस समय वैट नहीं लगेगा, लेकिन बिक्री के समय वैट का भुगतान अनिवार्य होगा।
भारत पर पड़ सकता है असर
हाल के महीनों में भारत में सोने की खरीद में तेजी देखी गई थी, जिससे इसकी कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थीं। हालांकि, बाद में मुनाफावसूली, वैश्विक तनाव में कमी और त्योहारी सीजन के बाद मांग घटने के कारण सोने की दरों में गिरावट आई। अब चीन के इस कदम से वैश्विक स्तर पर कीमतों में फिर से तेजी आ सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले का भारत के सोने के बाजार पर भी सीधा असर पड़ेगा, और यहां भी कीमतों में 3 से 5 प्रतिशत तक का उछाल देखने को मिल सकता है।