Good Friday कैसे मनाते हैं ईसाई समुदाय, जानिए इसका महत्व, इतिहास और इससे जुड़ी आस्थाएं

गुड फ्राइडे ईसाई धर्म का एक पवित्र दिन है जो यीशु मसीह के बलिदान की याद में मनाया जाता है। यह लोगों को दया और क्षमा का संदेश देता है।

Good Friday 2025 History and Significance

Good Friday 2025: ईसाई धर्म के सबसे पवित्र और भावुक दिनों में से एक है गुड फ्राइडे। इस दिन को यीशु मसीह के बलिदान की याद में मनाया जाता है, जब उन्हें मानवता के कल्याण के लिए क्रूस पर चढ़ा दिया गया था। इस साल यानी 2025 में गुड फ्राइडे 18 अप्रैल को मनाया जाएगा और इसके दो दिन बाद, 20 अप्रैल को ईस्टर संडे मनाया जाएगा।

Good Friday को लेकर लोगों की श्रद्धा और भावनाएं बहुत गहरी होती हैं। यह दिन दुख, आत्मचिंतन और प्रार्थना का दिन माना जाता है। चलिए जानते हैं इस दिन का इतिहास और इसका महत्व।

गुड फ्राइडे का इतिहास क्या है?

Good Friday को कुछ लोग “होली फ्राइडे” भी कहते हैं। बाइबिल के अनुसार, इस दिन यीशु मसीह को रोमन गवर्नर पिलातुस के आदेश पर सूली पर चढ़ाया गया था। कहा जाता है कि उन्हें निर्दोष होने के बावजूद गंभीर अपराधियों जैसी सजा दी गई थी। यीशु मसीह को पहले बुरी तरह प्रताड़ित किया गया, फिर लकड़ी का भारी क्रॉस खुद अपने कंधों पर ढोकर ले जाना पड़ा।

इसके बाद उनके हाथों और पैरों में कीलें ठोककर उन्हें क्रूस पर चढ़ा दिया गया। दोपहर 3 बजे के करीब उनकी मृत्यु हुई और फिर जोसेफ नाम के एक व्यक्ति ने उन्हें दफनाया। ईसाई मानते हैं कि यीशु मसीह ने अपने अनुयायियों और पूरी इंसानियत के लिए यह बलिदान दिया था। उन्होंने सिखाया कि कैसे प्रेम, क्षमा और दया से जीवन को जिया जाए।

गुड फ्राइडे कैसे मनाते हैं ईसाई लोग?

गुड फ्राइडे को एक शोकपूर्ण दिन की तरह मनाया जाता है। इस दिन चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं। कई लोग “क्रूस की पूजा” (Catholic परंपरा) करते हैं और “स्टेशन्स ऑफ द क्रॉस” नाम की प्रार्थना में भाग लेते हैं। कुछ जगहों पर जुलूस निकाला जाता है जिसमें लोग यीशु मसीह के क्रॉस उठाए हुए चलते हैं। यह सब उस समय की याद दिलाने के लिए होता है जब यीशु खुद अपने क्रॉस को उठाकर सूली तक पहुंचे थे। ईसाई लोग इस दिन उपवास रखते हैं, चुपचाप आत्ममंथन करते हैं और बहुत से लोग ज़रूरतमंदों को दान भी करते हैं।

गुड फ्राइडे का संदेश

Good Friday हमें यह याद दिलाता है कि दूसरों की भलाई के लिए अपने सुखों का त्याग कितना बड़ा काम होता है। यह दिन प्रेम, क्षमा और बलिदान का प्रतीक है। यह सिर्फ एक धार्मिक दिन नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धता और इंसानियत के लिए सोचने का अवसर भी है।

Exit mobile version