क्या जीएसटी में हो गया बड़ा बदलाव अब होंगे कितने स्लैब, कैसे मिलेगा आम लोगों को सीधा फायदा

जीएसटी दरों में बड़ा बदलाव करते हुए सरकार ने चार की जगह दो स्लैब करने का फैसला किया है। इससे आम लोगों को राहत मिलेगी, कई चीजें सस्ती होंगी और टैक्स सिस्टम और पारदर्शी बनेगा।

GST Rates Simplified: सरकार ने जीएसटी दरों को आसान बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में बनी मंत्री समूह (GoM) ने केंद्र के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव के बाद अब जीएसटी के चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) खत्म कर दिए जाएंगे और सिर्फ दो स्लैब 5% और 18% ही लागू होंगे।

जीएसटी दरों में क्या होगा बदलाव?

अभी तक देश में जीएसटी चार अलग-अलग दरों में लागू होता है। 5%, 12%, 18% और 28%। लेकिन नई व्यवस्था के तहत अब सिर्फ दो स्लैब होंगे। इसमें 5% जीएसटी जरूरी सामान और सेवाओं पर लगेगा, जबकि 18% जीएसटी सामान्य कैटेगरी के सामान और सेवाओं पर लगाया जाएगा।

वहीं, शराब, तंबाकू, ड्रग्स, जुआ, सॉफ्ट ड्रिंक, फास्ट फूड, कॉफी, शुगर और पोर्नोग्राफी जैसी चीजों पर 40% टैक्स जारी रहेगा। इसका मकसद लोगों को इन हानिकारक चीजों से दूर रखना और उनकी खपत कम करना है।

आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा?

इस फैसले के बाद ज्यादातर चीजें सस्ती हो सकती हैं। फिलहाल जो सामान 12% जीएसटी के दायरे में आते हैं, उनमें से लगभग 99% सामान अब 5% वाले स्लैब में आ जाएंगे। वहीं, 28% टैक्स वाली कैटेगरी के करीब 90% सामानों को घटाकर 18% स्लैब में शिफ्ट किया जाएगा। इसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा, क्योंकि कई रोजमर्रा की चीजें पहले से ज्यादा किफायती हो सकती हैं।

बैठक में कौन-कौन शामिल रहा?

यह बैठक बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में हुई। इसमें यूपी के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, राजस्थान की स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा और केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल शामिल रहे।

बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह नया सिस्टम आम लोगों, किसानों, मध्यम वर्ग और छोटे कारोबारियों के लिए फायदेमंद होगा। साथ ही, इससे टैक्स सिस्टम और ज्यादा पारदर्शी और विकास को बढ़ावा देने वाला बनेगा।

इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी राहत की तैयारी

बैठक में केंद्र ने यह भी प्रस्ताव रखा कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा (हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस) पर लगने वाला जीएसटी पूरी तरह खत्म कर दिया जाए। ज्यादातर राज्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि कंपनियों पर सख्त निगरानी रखनी होगी ताकि यह फायदा ग्राहकों तक सच में पहुंचे। हालांकि, इस छूट से सरकार को हर साल करीब 9,700 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो सकता है।

अब आगे क्या होगा?

मंत्रियों के समूह (GoM) की सिफारिशों पर अंतिम फैसला अब जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में लिया जाएगा, जो सितंबर में होने वाली है। उम्मीद है कि इस फैसले से टैक्स चोरी कम होगी और जीएसटी का ढांचा और आसान बनेगा।

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