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Hijab Controversy: हिजाब उतार कर पढ़ाने का मिला निर्देश, शिक्षिका ने नौकरी से दिया इस्तीफ़ा

Hijab Controversy: हिजाब उतार कर पढ़ाने का मिला निर्देश, शिक्षिका ने नौकरी से दिया इस्तीफ़ा

बेंगलुरु: कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद रोज नया मोड लेता जा रहा है। जहां उच्च न्यायालय में सुनवाई अभी लंबित है और अंतरिम आदेश के अनुसार, कक्षाओं में छात्र-छात्राओं के हिजाब, बुर्का और भगवा गमछे आदि पहनने पर रोक लगी है। इसके बावजूद हिजाब को लेकर स्कूल-कॉलेजों में नोकझोंक और तनाव के मामले देखने को मिल रहे हैं। इस बीच, कर्नाटक के तुमकुर में हिजाब पहनकर पढ़ाने से रोकने पर शिक्षिका के इस्तीफा देने का मामला सामने आया है।

हिजाब पर विवाद के कारण तुमकुर के प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में चांदनी नामक अतिथि व्याख्याता ने इस्तीफा दे दिया है। वह हिजाब पहनकर कॉलेज जा रही थी। अब हालांकि, हिजाब विवाद के कारण इस्तीफा दे दिया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चांदनी जैन प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में अंग्रेजी विभाग में गेस्ट लेक्चरर थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल ने जब उनको हिजाब उतारने के आदेश का पालन करने के लिए कहा तो उन्होंने इनकार कर दिया। तल्खी बढ़ने पर आदेश का पालन कर हिजाब हटाने के बजाय उन्होंने नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया है।

सोशल मीडिया पर सामने आए उनके इस्तीफे के पत्र में खुलासा हुआ कि वह पिछले तीन साल से कॉलेज के अंदर हिजाब पहन रही थी। उन्होंने 16 फरवरी को कॉलेज के प्रिंसिपल को सौंपे त्याग पत्र में लिखा, जैसा कि आपने मुझसे मेरा हिजाब उतारने की मांग की थी, जो मैं आपके कॉलेज में 3 साल से पहनकर आ रही हूं, इसलिए, मैं अंग्रेजी विषय के व्याख्याता के पद से इस्तीफा दे रही हूं। चांदनी ने आगे लिखा कि मैं आपके अलोकतांत्रिक कृत्य की निंदा करती हूं। धर्म का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है जिसे कोई भी नहीं नकार सकता है।

बता दें कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए स्कूल-कॉलेज के अधिकारी परिसर में प्रवेश देने से पहले ही सभी छात्र-छात्राओं से हिजाब, बुर्का और भगवा गमछे आदि उतरवा रहे हैं। शिक्षक भी दायरे में शामिल हैं। हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक अदालत हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाती। इस बीच, गुरुवार, 17 फरवरी को राज्य अल्पसख्ंयक कल्याण विभाग की ओर से भी हिजाब सहित अन्य धार्मिक वस्त्रों और प्रतीक चिह्नों को कक्षाओं में पहनने पर रोक लगा दी गई है।

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