The Story of India’s First AC Train भारत में रेलवे को देश की “लाइफलाइन” कहा जाता है और इसकी वजह है रोज़ाना करोड़ों यात्रियों का इसमें सफर करना। इंडियन रेलवे का इतिहास करीब 150 साल पुराना है और इन वर्षों में इसमें कई बड़े बदलाव आए हैं। पहले कोयले से चलने वाली ट्रेनें अब बिजली से दौड़ रही हैं और जल्द ही भारत में हाइड्रोजन ट्रेन भी शुरू होने वाली है।
आज हमारे पास जनरल से लेकर फर्स्ट एसी और लग्जरी ट्रेनों तक कई विकल्प हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में पहली एसी ट्रेन कब और कैसे शुरू हुई थी?
1934 में पहला एसी कोच जोड़ा गया
बहुत से लोगों को लगता है कि एसी ट्रेनें भारत में पिछले 20 से 25 सालों में शुरू हुई हैं, लेकिन असलियत इससे बिल्कुल अलग है। भारत में पहली एसी कोच वाली ट्रेन साल 1934 में शुरू हुई थी। उस समय इस ट्रेन का नाम ‘पंजाब मेल’ था, जिसे बाद में बदलकर ‘फ्रंटियर मेल’ कर दिया गया।
आज भी यह ट्रेन चल रही है, लेकिन अब इसे ‘गोल्डन टेंपल मेल’ कहा जाता है।
कैसे ठंडा रहता था कोच
1934में भले ही ट्रेन में एसी कोच जोड़ दिया गया था, लेकिन उस समय आज जैसा एसी सिस्टम नहीं था। तब ट्रेन के कोच को ठंडा रखने के लिए एक अनोखी तकनीक अपनाई जाती थी।
ट्रेन की बोगियों के नीचे बर्फ की बड़ी सिल्लियां लगाई जाती थीं। इन बर्फों को खास डिब्बों में रखा जाता था और ऊपर से पंखा चलाया जाता था। इस तरह बर्फ और पंखे की मदद से कोच ठंडे रहते थे और यात्रियों को गर्मी से राहत मिलती थी।
जब बर्फ पिघल जाती थी, तो ट्रेन के किसी नजदीकी स्टेशन पर दोबारा बर्फ की सिल्लियां रख दी जाती थीं।
ब्रिटिश अफसरों की थी पसंदीदा ट्रेन
फ्रंटियर मेल उस दौर की सबसे तेज और भरोसेमंद ट्रेन मानी जाती थी। यह ट्रेन लाहौर से मुंबई सेंट्रल तक चलती थी और इसमें ज़्यादातर ब्रिटिश अफसर ही सफर करते थे।
यह ट्रेन इतनी पंक्चुअल थी कि कहा जाता था “रोलेक्स की घड़ी गलत हो सकती है, लेकिन फ्रंटियर मेल नहीं!” अगर यह ट्रेन 15 मिनट भी लेट होती थी, तो अधिकारियों की जांच शुरू हो जाती थी।
अब कहां चलती है ये ट्रेन
भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले यह ट्रेन लाहौर और मुंबई के बीच चलती थी। लेकिन अब यह मुंबई और अमृतसर के बीच दौड़ती है। इसी वजह से इसका नाम गोल्डन टेंपल मेल रख दिया गया है।
आज की हाईटेक रेलवे और उस दौर की सादगी
आज के दौर में ट्रेनों में मॉडर्न एसी सिस्टम, बायो-टॉयलेट, वाई-फाई और कैटरिंग जैसी कई सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन लगभग 90 साल पहले जब तकनीक इतनी उन्नत नहीं थी, तब भी इंडियन रेलवे ने यात्रियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा था।
इसी ऐतिहासिक सफर ने आज भारतीय रेलवे को दुनिया की सबसे बड़ी रेलवे नेटवर्क में से एक बना दिया है।