Electricity cost in Indian railway : भारतीय रेलवे में हर दिन लाखों यात्री ट्रेन से सफर करते हैं, और इसके साथ ही मालगाड़ियां भी चलाई जाती हैं। इन ट्रेनों को चलाने में कितनी बिजली खर्च होती है। सच तो यह है कि रेलवे को हर दिन बड़ी रकम बिजली के बिल के रूप में चुकानी पड़ती है। इसका खर्च इतना ज्यादा होता है कि यह जानकर आपको भी हैरानी हो सकती है।
एक ट्रेन को चलाने में आता है इतना खर्च
भारतीय रेलवे को प्रति यूनिट बिजली के लिए 7 रुपये चुकाने पड़ते हैं। एक ट्रेन के एसी डब्बे में प्रति घंटे लगभग 210 यूनिट बिजली की खपत होती है। अगर इसे 12 घंटे तक चलाया जाए तो एक बोगी का बिजली खर्च 17,640 रुपये हो जाता है। यह तो सिर्फ एक बोगी का खर्च है। स्लीपर और जनरल कोच के लिए बिजली की खपत 120 यूनिट प्रति घंटे होती है, और इस हिसाब से 12 घंटे में 10,080 रुपये का खर्च होता है। इस तरह से एक दिन में भारतीय रेलवे का केवल एक ट्रेन का कुल बिजली खर्च 5,76,000 रुपये होता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पूरा रेलवे का बिजली खर्च कितना होगा
इसके अलावा, रेलवे ट्रेन के डब्बों में दो प्रकार के बिजली सप्लाई करता है। एक डायरेक्ट हाई टेंशन वायर के माध्यम से और दूसरा पावर जेनरेट करके, जो डीजल जनरेटर से किया जाता है। आप ने देखा होगा कि ट्रेन में एक जनरेटर कोच लगा होता है, जो डीजल से बिजली तैयार करता है। यही कारण है कि रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में हमेशा बिजली की सप्लाई रहती है, ताकि यात्रा और सामान की ढुलाई की प्रक्रिया निर्बाध रूप से चलती रहे।
रेलवे की बिजली खपत से संबंधित जानकारियां
अच्छे से अच्छे मेधावी छात्र भी शायद इस बात को नहीं जानते होंगे कि भारतीय रेलवे को रोजाना केवल एक ट्रेन के लिए इतना बिजली का खर्च देना पड़ता है। यह जानकारी प्रतियोगी परीक्षाओं और सामान्य ज्ञान के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। भारत के रेलवे विभाग का बजट हर साल बढ़ता जा रहा है, और इसके साथ ही बिजली का खर्च भी बढ़ता जा रहा है।