Indian Railway : भारतीय रेलवे के लिए यात्रियों की सुरक्षा हमेशा से शीर्ष प्राथमिकता रही है। इसी लक्ष्य की दिशा में रेलवे लगातार अपने संचालन तंत्र को अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित कर रहा है। इसी क्रम में पश्चिम रेलवे ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है – रतलाम मंडल के ताजपुर स्टेशन पर भारत की पहली डायरेक्ट ड्राइव इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (Direct Drive EI) प्रणाली को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है।
क्या है डायरेक्ट ड्राइव EI प्रणाली?
डायरेक्ट ड्राइव इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली एक कंप्यूटर आधारित सिग्नलिंग टेक्नोलॉजी है, जो सीधे सिग्नलिंग गियर को नियंत्रित करती है। इसके तहत कोई भी सिग्नल तभी ‘क्लियर’ होता है जब निम्नलिखित सुरक्षा शर्तें पूरी हो चुकी हों:
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सभी पॉइंट्स सही दिशा में सेट और लॉक हों,
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रूट पूर्ण रूप से बाधा-मुक्त हो,
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लेवल क्रॉसिंग गेट बंद और सुरक्षित हो।
इस प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि एक समय में केवल एक सिग्नल ही सक्रिय हो सकता है, जिससे टकराव की कोई संभावना नहीं रहती।
परंपरागत EI बनाम डायरेक्ट ड्राइव EI
बिंदु | परंपरागत EI | डायरेक्ट ड्राइव EI |
---|---|---|
सिग्नल ऑपरेशन | रिले की मदद से | सीधे गियर को नियंत्रित करता है |
त्रुटि की संभावना | अधिक | नगण्य |
तकनीकी जटिलता | अधिक | कम |
रखरखाव | ज़्यादा समय और संसाधन लगता है | कम लागत और समय |
डायरेक्ट ड्राइव इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली में कई तकनीकी लाभ शामिल हैं, जो इसे पारंपरिक सिस्टम से कहीं अधिक प्रभावी बनाते हैं। सबसे पहले, इस प्रणाली में रिले की संख्या में लगभग 70% तक कमी आ जाती है, जिससे न केवल रखरखाव की लागत कम होती है बल्कि किसी भी तकनीकी गड़बड़ी का पता लगाना भी तेज़ और आसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त, इसमें कॉपर केबल की जगह ऑप्टिकल फाइबर केबल का उपयोग किया जाता है, जिससे लगभग 60–70% तक पारंपरिक वायरिंग की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
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इससे यह प्रणाली बिजली गिरने (लाइटनिंग) जैसे विद्युत तड़ित प्रभावों से सुरक्षित रहती है। वहीं, इसका सबसे आधुनिक फीचर यह है कि यह गियर की वर्तमान स्थिति को स्वचालित रूप से पहचान सकती है, जिससे मानवीय त्रुटियों की संभावना लगभग शून्य हो जाती है। इन सभी खूबियों के कारण यह प्रणाली रेलवे संरक्षा और दक्षता के नए मानक स्थापित कर रही है।
रेलवे की बड़ी उपलब्धि
ताजपुर स्टेशन पर डायरेक्ट ड्राइव EI की स्थापना के साथ ही पश्चिम रेलवे भारतीय रेलवे का पहला ऐसा ज़ोन बन गया है, जिसने यह तकनीक सफलतापूर्वक अपनाई है। यह कदम भविष्य में रेलवे संचालन को और अधिक सुरक्षित, विश्वसनीय और तकनीकी रूप से समृद्ध बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।