Shubhanshu Shukla : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से बातचीत के दौरान कई दिलचस्प सवाल किए। बातचीत हल्के-फुल्के अंदाज़ में शुरू हुई, जब पीएम मोदी ने पूछा, “आप तो अंतरिक्ष में हैं, जहां गुरुत्वाकर्षण नाममात्र है। ऐसे में जो गाजर का हलवा ले गए, क्या उसे साथियों के साथ बांटा?” शुक्ला मुस्कराते हुए बोले, “मैं अपने साथ कुछ खास चीजें लेकर गया था, जिनमें गाजर और मूंग का हलवा भी शामिल था। हम सबने मिलकर बैठकर उसका स्वाद लिया। उस पल में भी भारत की मिठास हमारे साथ थी।”
बातचीत आगे बढ़ी तो पीएम मोदी ने गहराई से पूछा, “जब आप अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखते हैं, तो कैसा लगता है?”
शुभांशु का जवाब भावुक कर देने वाला था—”जब पहली बार पृथ्वी को ऊपर से देखा, तो दिल भर आया। कोई सीमा नजर नहीं आती, पूरा ग्रह एक नजर आता है। और भारत तो वाकई अद्भुत और भव्य दिखता है। ऊपर से लगता है कि हम सभी एक ही परिवार हैं।”
PM ने चुटकी लेकर कही ये बात…
प्रधानमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा, “भारत में तो परिक्रमा की परंपरा सदियों से रही है, और आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप किस क्षेत्र के ऊपर हैं?”
इस पर शुभांशु ने बताया, “इस समय की सटीक लोकेशन तो मेरे पास नहीं है, लेकिन कुछ देर पहले हम हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे। अंतरिक्ष यान दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखता है, और यह अनुभव वाकई चमत्कारी है। हम करीब 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं, और यही गति भारत की प्रगति की भी प्रतीक है।”
पीएम मोदी ने शुभांशु से क्या पूछा ?
जब पीएम ने पूछा कि अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले मन में क्या आया, तो शुभांशु बोले, “पहला दृश्य ही पृथ्वी का था। एक नज़रिया जो सारी सीमाओं से परे है। ऊपर से धरती पर कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता—सिर्फ एकता और सुंदरता दिखती है।” अंतरिक्ष के माहौल पर बात करते हुए शुभांशु ने कहा, “यहां की परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं। गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण सबसे छोटी चीजें भी चुनौती बन जाती हैं—चाहे पानी पीना हो, चलना हो या सोना। ट्रेनिंग बहुत सख्त रही, लेकिन यहां आकर खुद को ढालने में दो दिन जरूर लगते हैं।”
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प्रधानमंत्री ने माइंडफुलनेस और ध्यान के विषय पर भी सवाल किया—”इस माहौल में भी भीतर भारत दौड़ता होगा, क्या माइंडफुलनेस से मदद मिलती है?” शुक्ला ने जवाब दिया, “बिलकुल। यहां हर क्षण सजग रहना पड़ता है। माइंडफुलनेस न केवल मानसिक संतुलन बनाए रखती है, बल्कि भारत से जुड़ाव का भाव भी और मजबूत करती है। अंतरिक्ष में भी मन भारत में ही रहता है।”