नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। मुम्बई हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा देरशाम भारत पहुंच गया। अब हाफिज सईद के चेले के गुनाहों की चार्जशीट एनआईए तैयार करेगी और उसे फांसी के फंदे तक पहुंचाएगी। तहव्वुर राणा को एनआईए की सेल में रखा गया। 12 सदस्यीय टीम आतंकी से पूछताछ करेगी। पूरे ऑपरेशन की निगरानी एनएसए अजीत डोभाल कर रहे हैं। ऐसे में हम आपको ऑपरेशन तहव्वुर राणा को लेकर अपने इस खास अंक में बताने जा रहे हैं। इस ऑपरेशन को कौन लीड रहा था। कौन हैं वह तीन आईपीएस अफसर हैं, जो तहव्वुर राणा को भारत लेकर आए। कौन है वो वकील, जिन्होंने अमेरिका की अदालत में खड़े होकर केस की पैरवी की। और एनएसए का इस ऑपरेशन में क्या रोल रहा।
तहव्वुर राणा को अमेरिका से लेकर भारत की धरती पर पहुंचे
मुम्बई की वह सुबह आज भी लोग नहीं भूले। जब पाकिस्तान की धरती से 10 आतंकवादी भारत की आर्थिक राजधानी में दाखिल होते हैं और आतंकी हमला कर मुम्बई को लहूलुहान कर देते हैं। इस हमले में 166 से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है। देश को उम्मीद थी कि शाएद भारत सरकार आतंकी हमले का बदला लेगी। हाफिज सईद एंड आतंकी कंपनी पर भारतीय वायू सेना बम गिराएगी। थल सेना घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करेगी। नेवी कराची में धावा बोलकर पाकिस्तान को तहस-नहस कर देगी। तीनों सेनाएं चाहती थीं कि उन्हें सरकार आदेश दे। वह बार्डर पार कर पाकिस्तानियों को सबक सिखाना चाह रहे थे। पर ऐसा हुआ नहीं। सरकार ने सेना को छावनी से बाहर आने का हुक्म नहीं दिया। पर समय बदला। मोदी सरकार आई और अब एक-एक आतंकी का हिसाब-किताब हो रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण बृहस्पतिवार को देखने को मिला। जब भारतीय जांबाजों ने मुम्बई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से लेकर भारत की धरती पर पहुंचे।
क्या आप जानते हैं कि तहव्वुर राणा को कैसे भारत लाया गया
ये तो हुई आतंकी की गिरफ्तारी और भारत में उसकी लैंडिंग की। पर क्या आप जानते हैं कि तहव्वुर राणा को कैसे भारत लाया गया। तो चलिए हम आपको बताते हैं। 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष टीम को अमेरिका भेजा गया। इस टीम की कोशिशों के बाद अमेरिकी अदालत ने राणा के प्रत्यर्पण का आदेश दिया, जिसके तहत उसे अब भारत लाया गया। टीम में शामिल अधिकारियों ने न केवल अमेरिका में केस की पैरवी की, बल्कि भारत में उनकी सुरक्षा और पूछताछ की तैयारियों को भी सुनिश्चित किया। इस टीम की कमान आईपीएस आशीष बत्रा के हाथों पर थी। टीम की दूसरी महत्वपूर्ण सदस्य जया राय हैं, जो 2011 बैच की झारखंड कैडर आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्हें जामताड़ी की खूंखार शेरनी कहा जाता है। तीसरे अधिकारी प्रभात कुमार है। वो छत्तीसगढ़ कैडर के 2019 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। प्रभात कुमार, वर्तमान में एनआईए में सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसपी) के तौर पर कार्यरत हैं।
पहले जानें आईपीएस आशीष बत्रा के बारे में
1997 बैच के आईपीएस अधिकारी आशीष बत्रा झारखंड कैडर से हैं। वे वर्तमान में एनआईए में आईजी के पद पर कार्यरत हैं। उनकी प्रतिनियुक्ति वर्ष 2019 में पांच साल के लिए हुई थी, जिसे अब गृह मंत्रालय ने 15 सितंबर 2024 के बाद दो साल के लिए और बढ़ा दिया है। एनआईए में आने से पहले बत्रा झारखंड जगुआर (एक विशेष एंटी-इंसर्जेंसी यूनिट) के प्ळ के रूप में 20 जनवरी 2018 से कार्यरत थे। वे झारखंड पुलिस के प्रवक्ता भी रह चुके हैं और आईजी अभियान की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी संभाली थी।अपने करियर में उन्होंने कई अहम ऑपरेशनल और प्रशासनिक पदों पर कार्य किया है। उनकी शुरुआती तैनाती जहानाबाद में तीन महीने तक असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट के तौर पर हुई थी। इसके बाद वे कोयल कारो और हजारीबाग के एसपी रहे। रांची में उन्होंने 19 महीनों तक सिटी एसपी की भूमिका निभाई और राज्यपाल की सुरक्षा में भी डेढ़ साल तक तैनात रहे।
अब जानें लेडी आईपीएस जया रॉय के बारे में
2011 बैच की आईपीएस अधिकारी जया रॉय भी झारखंड कैडर से हैं। वर्तमान में वे एनआईए में डीआईजी के पद पर हैं। वर्ष 2019 में उन्हें चार साल के लिए सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के तौर पर एजेंसी में प्रतिनियुक्त किया गया था। अब वे एजेंसी में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं। जया रॉय की सबसे चर्चित पोस्टिंग जामताड़ा में थी, जहां उन्होंने साइबर अपराधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। उनकी अगुवाई में किए गए उस ऑपरेशन को अब एक प्रमुख वेब सीरीज के रूप में भी दिखाया गया है, जिससे उनकी कार्यशैली और नेतृत्व क्षमता को देशभर में पहचान मिली। जानकार बताते हैं कि एनआईए में आने के बाद जया रॉय ने यासीन मलिक की गिरफ्तारी से लेकर पूछताछ वाली टीम में शामिल रही हैं। जानकार बताते हैं कि लेडी आईपीएस के चलते यासीन ने मुंह से अपने गुनाहों की चार्जशीट खुद बयां की थी।
कौन हैं आईपीएस प्रभात कुमार
तीसरे अधिकारी प्रभात कुमार है। वो छत्तीसगढ़ कैडर के 2019 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। प्रभात कुमार, वर्तमान में एनआईए में सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसपी) के तौर पर कार्यरत हैं। वे दिल्ली हवाई अड्डे से एनआईए मुख्यालय तक पूरे ऑपरेशन के कोऑर्डिनेटर भी हैं। आपको बता दें कि तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने के इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि एनएसए ने ऑपरेशन राणा की नींव रखी। एनआईए के अलावा रॉ और आइबी को लगाया। वह खुद अमेरिका गए और अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसका नतीजा रहा कि भारत का गुनहगार करीब 17 साल के बाद भारत लाया जा सका। इतना ही नहीं इस ऑपरेशन को सक्सेसफुल बनाने के लिए दो वकील भी अमेरिका भेजे गए। जिन्होंने कोर्ट में कानूनी-दांव पेच में जांच एजेंसी को मदद की।
वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन की दलीलें लाई रंग
तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अदालत में भारत की ओर से दलीलें रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन थे, जिनकी पैरवी के कारण आईएसआई का आतंकी भारत लाया जा सका। अब एनआईए की तरफ दयान कृष्णन राणा के खिलाफ मुकदमा भी लड़ेंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सहायता के लिए आपराधिक मामलों के अनुभवी वकील नरेन्द्र मान को विशेष अभियोजक नियुक्त किया है। सीनियर एडवोकेट दयान कृष्णन 26/11 के सह-साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली के प्रत्यर्पण में कानूनी प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहे थे। सूत्र बताते हैं कि वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन कई सालों से एनआईए के लिए अमेरिका में रहकर केस की पैरवी की। अमेरिका के सरकारी वकीलों के साथ बैठकें की और राणा के खिलाफ उन्हें साक्ष्य मुहैया कराए।
कौन हैं वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन
वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने बेंगलुरु स्थित एनएलएसआईयू से 1993 में स्नातक किया और वरिष्ठ अधिवक्ता व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज संतोष हेगड़े के साथ काम किया। 1999 में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। कई हाई-प्रोफाइल मामलों जैसे 2001 के संसद हमले, कावेरी नदी जल विवाद, दूरसंचार मामलों आदि पर काम किया है। दिसंबर, 2012 के दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में विशेष लोक अभियोजक थे। अतीत में भी कई हाई प्रोफाइल मामलों में केंद्र, एनआईए, सीबीआई, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व किया है। 2011 में ब्रिटेन से रवि शंकरन के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया था। वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और कई महत्वपूर्ण मामलों में पेश हुए हैं, जिनमें आनंद मार्गिस द्वारा पूर्व सीजेआइ एएन रे पर जानलेवा हमला भी शामिल है।
अमेरिका में दोषी ठहराया गया था तहव्वुर राणा
दरअसल, मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले में आरोपी तहव्वुर राणा को गुरुवार को अमेरिका से भारत से आ गया। भारत प्रत्यर्पित होने से बचने के लिए राणा ने सारे हथकंडे अपनाए, पर अमेरिका की अदालतों में उसकी कोई चाल सफल नहीं हुई। राणा ने प्रत्यर्पण से बचने के आखिरी दांव के रूप में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद एनआईए की एक टीम अमेरिका के लिए रवाना हुई। जेल से राणा को लेकर भारत के लिए उड़ान भरी। पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का अहम सदस्य हैं। राणा और उसके गुर्गों को मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों की मदद करने के लिए अमेरिका में दोषी ठहराया गया था। हमले में 166 से अधिक लोग मारे गए थे।