Chinmoy Krishna Das : सद्गुरु ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर चल रहे तनाव और हिंदू धार्मिक नेता और इस्कॉन के मुख्य पुजारी चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया दी है। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने कहा कि यह देखना बहुत निराशाजनक और दुखद है कि कैसे एक लोकतांत्रिक देश टूट रहा है और निरंकुश हो रहा है। खुले लोकतंत्र के मूल्यों को समझना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। किसी भी लोकतंत्र में धर्म के आधार पर उत्पीड़न ठीक नहीं है। दुर्भाग्य से, हमारे पड़ोसी लोकतांत्रिक सिद्धांतों के मार्ग से भटक गए हैं।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह एक ऐसा लोकतंत्र बनाए जहां सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलें। बांग्लादेश के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाए जहां सभी नागरिकों को अपनी जरूरतों और मान्यताओं के मुताबिक जीवन जीने के जरूरी अधिकार मिलें। चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसा बांग्लादेश में चटगांव इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद हालात बिगड़ते जा रहे इस दौरान बीएनपी और जमात कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला कर दिया। इस हमले में 50 हिंदू घायल हो गए।
रात में गूंजा जय सिया राम
देर रात मौलवी बाजार में हजारों हिंदुओं ने जय सिया राम और हर हर महादेव के नारों के साथ एक भव्य मशाल रैली निकाली। चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने हर जिले में शांतिपूर्ण सभाएं आयोजित कीं, ताकि वे अपनी आवाज उठा सकें। हालांकि, इन शांतिपूर्ण सभाओं पर चरमपंथी समूहों द्वारा हमले किए गए। इस्लामिक समूहों ने चटगांव में हिंदू समुदाय के लोगों पर जानलेवा हमले किए। बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार, जो हिंदू समुदाय के पक्षधर चिन्मय प्रभु को अपना विरोधी मान रही थी, उनकी गिरफ्तारी के लिए अवसर तलाश रही थी। ऐसे में, 25 अक्टूबर को हिंदुओं के एक संगठन, ‘समानता जागरण मंच’ ने राजधानी ढाका के न्यू मार्केट में एक विशाल धरना-प्रदर्शन किया। इस रैली के दौरान कुछ युवाओं ने बांग्लादेशी झंडे पर भगवा ध्वज फहरा दिया, जिससे एक नई विवादास्पद स्थिति पैदा हो गई।
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कौन हैं चिन्मय प्रभु ?
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के एक प्रमुख नेता और इस्कॉन चटगाँव के पुंडरीक धाम के अध्यक्ष हैं। लोग उन्हें चिन्मय प्रभु के नाम से भी जानते हैं। वे बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ़ मज़बूत आवाज़ उठाते रहे हैं। बांग्लादेश में इस्कॉन के 77 से ज़्यादा मंदिर हैं और इस संगठन से 50 हज़ार से ज़्यादा लोग जुड़े हुए हैं। वे बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोते समूह के सदस्य भी हैं। वे इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से भी जुड़े हुए हैं और इस्कॉन के प्रवक्ता भी रह चुके हैं।