Jinnah House: मुंबई में स्थित मोहम्मद अली जिन्ना के आलीशान बंगले ‘साउथ कोर्ट’ को लेकर एक बार फिर सुर्खियां तेज हो गई हैं। 1936 में बना यह बंगला अब मोदी सरकार के रडार पर है, जो इसे डिप्लोमैटिक एन्क्लेव में बदलना चाहती है। विदेश मंत्रालय इस बंगले के जीर्णोद्धार की योजना पर काम कर रहा है और आखिरी मंजूरी के इंतजार में है। इटालियन आर्किटेक्चर में बना यह ऐतिहासिक बंगला न सिर्फ अपनी बनावट बल्कि इसके पीछे छिपे राजनीतिक और सांस्कृतिक मायनों को लेकर भी खासा अहम है। इसी बीच जिन्ना की बेटी दीना वाडिया द्वारा दायर याचिका और कोर्ट में चल रही कानूनी प्रक्रिया भी चर्चा में है। आइए जानते हैं इस विरासत की पूरी कहानी।
मालाबार हिल्स की शान बना ‘साउथ कोर्ट’
मुंबई के सबसे पॉश इलाके मालाबार हिल में स्थित ‘साउथ कोर्ट’ बंगला, मोहम्मद अली जिन्ना ने 1936 में बनवाया था। इस Jinnah House की खासियत इसका आर्ट डेको डिज़ाइन है, जिसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट क्लाउड बैटली ने तैयार किया था। इटली से मंगवाए गए संगमरमर से बने इस बंगले का क्षेत्रफल लगभग 39,000 वर्ग फीट है और इसे एक मंजिला विला के रूप में तैयार किया गया था।
मुंबई हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी (MHCC) ने इसे ग्रेड II A हेरिटेज साइट घोषित किया है। अगस्त 2023 में MHCC ने इसके मरम्मत कार्य को हरी झंडी दी थी। इसके बाद से केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के नेतृत्व में सर जेजे कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर को इस परियोजना का सलाहकार बनाया गया।
डिप्लोमैटिक एन्क्लेव में तब्दील करने की योजना
विदेश मंत्रालय इस Jinnah House को एक डिप्लोमैटिक एन्क्लेव के रूप में विकसित करना चाहता है। इसके तहत इसे दफ्तर के रूप में तब्दील किया जाएगा। मरम्मत में दरवाजे, खिड़कियों, वेंटिलेटर की मरम्मत, गार्डनिंग, दीवारों का पुनर्निर्माण, बीम-कॉलम लगाना और फर्श को फिर से तैयार करना शामिल है।
हालांकि MHCC ने स्पष्ट किया है कि विरासत की मूल संरचना और विशेषताओं से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। पुराने झूमर, फर्नीचर और फिटिंग्स को दोबारा उपयोग में लाने की सलाह भी दी गई है। Jinnah House की चारदीवारी भी पहले जैसी पत्थर से बनाई जाएगी।
विवाद और कानूनी प्रक्रिया भी है जारी
2007 में जिन्ना की बेटी दीना वाडिया ने बॉम्बे हाईकोर्ट में इस संपत्ति पर मालिकाना हक के लिए याचिका दायर की थी। उनके निधन के बाद उनके बेटे नुस्ली वाडिया को केस आगे बढ़ाने की अनुमति दी गई।
Jinnah House फिलहाल ‘निष्कासित संपत्ति’ की श्रेणी में आता है — यानी वह संपत्ति जो विभाजन के बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान जाने वाले लोगों की मानी गई है। ऐसे में कानूनी पेचीदगियां अभी भी बरकरार हैं।
अब अगली बारी मोदी सरकार की
परियोजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, सारा खाका तैयार है और सिर्फ केंद्र सरकार की अंतिम मंजूरी का इंतजार है। जैसे ही हरी झंडी मिलती है, जिन्ना हाउस में नये सिरे से काम शुरू होगा, जो भारतीय कूटनीति और विरासत के संगम का प्रतीक बन सकता है।