Jonas Masetti Padma Shri award for Indian culture promotion बीते बुधवार को राष्ट्रपति भवन में जब पद्म पुरस्कारों का वितरण हो रहा था, तब एक शख्स ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। ये व्यक्ति नंगे पांव, गले में रुद्राक्ष की माला और तन पर साधारण सूती धोती पहनकर मंच पर पहुंचे। उनका सादा पहनावा और आत्मविश्वास भरा व्यक्तित्व सबके लिए आकर्षण का केंद्र बन गया। यह व्यक्ति और कोई नहीं, बल्कि ब्राजील के वेदांत आचार्य जोनास मसेट्टी थे, जिन्हें ‘विश्वनाथ’ के नाम से भी जाना जाता है।
भारतीय संस्कृति के लिए समर्पण
भारत सरकार ने जोनास मसेट्टी को ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया है। उन्हें यह सम्मान भारतीय संस्कृति और परंपरा को दुनिया भर में फैलाने के लिए दिया गया है। जोनास ने वर्षों तक भारतीय ज्ञान, योग और वेदांत को अपने देश ब्राजील समेत दुनिया के अन्य हिस्सों में प्रचारित किया है।
कौन हैं जोनास मसेट्टी?
जोनास मसेट्टी का जन्म ब्राजील में हुआ था। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और कुछ समय शेयर बाजार में काम किया। लेकिन इस जीवनशैली में उन्हें आत्मसंतोष नहीं मिला। आंतरिक शांति की तलाश में उन्होंने अध्यात्म की राह चुनी।
भारत आकर उन्होंने वेदांत और योग का गहराई से अध्ययन किया। वे ऋषिकेश में स्थित प्रसिद्ध वेदांत आचार्य स्वामी दयानंद सरस्वती के आश्रम में रहकर शिक्षा प्राप्त करने लगे। यहीं उन्होंने भारतीय दर्शन और जीवनशैली को गहराई से जाना और अपनाया।
दुनिया तक पहुंचाई भारत की विरासत
भारत में ज्ञान प्राप्त करने के बाद, जोनास अपने देश लौटे और वहां ‘विश्वविद्या’ नाम से एक संस्था शुरू की। इस संस्था के जरिए वे वेदांत, ध्यान और योग की शिक्षा देते हैं। आज वे लाखों लोगों को भारतीय ज्ञान की ओर आकर्षित कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है और पूरी दुनिया में उसे अपनाने का संदेश दे रहे हैं।
जोनास मसेट्टी एक विदेशी होते हुए भी भारतीय परंपरा के सच्चे वाहक बन गए हैं। उनकी सादगी, भक्ति और समर्पण ने उन्हें पद्मश्री जैसा बड़ा सम्मान दिलाया है। वे इस बात का जीवंत उदाहरण हैं कि संस्कृति और अध्यात्म की कोई सीमाएं नहीं होतीं।