Justice Sanjiv Khanna: देश के उच्चतम न्यायालय में कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रह चुके न्यायमूर्ति संजीव खन्ना कल भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाएंगी। न्यायमूर्ति खन्ना, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ का स्थान लेंगे, जो रविवार को अपने पद से सेवानिवृत्त हो गए हैं। न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। वह अपने कार्यकाल में लंबित मामलों को कम करने, न्याय प्रणाली में सुधार लाने और महत्वपूर्ण फैसलों को आकार देने के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं। जनवरी 2019 से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत न्यायमूर्ति खन्ना ने भारतीय न्यायपालिका में कई प्रभावशाली योगदान दिए हैं। उनके कई ऐतिहासिक फैसलों ने जनता में विश्वास और ईमानदारी की छवि बनाई है।
Justice Sanjiv Khanna का सफर और उनके प्रमुख फैसले
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना दिल्ली के एक प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं। वह दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति देव राज खन्ना के बेटे और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एच आर खन्ना के भतीजे हैं, जिन्होंने 1976 में आपातकाल के दौरान एडीएम जबलपुर मामले में असहमति जताई थी। न्यायमूर्ति एच आर खन्ना को उनके असहमतिपूर्ण फैसले के लिए सराहा गया, जिसमें उन्होंने मौलिक अधिकारों की रक्षा की पैरवी की थी। उनके परिवार की यह न्यायिक परंपरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के कार्यों में भी झलकती है।
जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए Justice Sanjiv Khanna ने ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर चुनौती देने वाले मामलों में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने पुरानी मतपत्र प्रणाली की मांग को खारिज करते हुए ईवीएम को सुरक्षित बताया। इसके अलावा, वह चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाली पीठ का भी हिस्सा रहे हैं, जिसने राजनीतिक दलों को वित्तीय पारदर्शिता का संदेश दिया।
अनुच्छेद 370, केजरीवाल मामले में फैसले
जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के मामले में भी न्यायमूर्ति खन्ना ने अहम भूमिका निभाई। केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को बरकरार रखते हुए उनकी पीठ ने इस मामले में गहन विचार-विमर्श किया। उनके इस फैसले ने अनुच्छेद 370 पर देश की स्थिति स्पष्ट की और सरकार की नीति पर मुहर लगाई।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मामले में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत देने का निर्णय भी न्यायमूर्ति खन्ना के नेतृत्व वाली पीठ ने दिया। यह फैसला लोकसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा बन गया था, जिसमें न्यायमूर्ति खन्ना ने लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की पैरवी की।
न्यायिक करियर और अहम योगदान
14 मई 1960 को जन्मे संजीव खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में नामांकन के बाद वह जिला अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय में सक्रिय रहे। आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में उनके लंबे कार्यकाल ने उन्हें अदालती मामलों में अनुभव प्रदान किया। 2004 में दिल्ली के स्थायी वकील (सिविल) के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। न्यायमूर्ति खन्ना ने कई आपराधिक मामलों में अदालत की सहायता की और 2019 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति प्राप्त की।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में उन्होंने न्यायिक पहुंच को जनता तक पहुंचाने के प्रयास किए। उनका मानना है कि लंबित मामलों को कम करने और न्यायिक प्रक्रियाओं में गति लाने की आवश्यकता है।
Justice Sanjiv Khanna का कार्यकाल अगले वर्ष मई तक रहेगा, जिसमें वह न्याय व्यवस्था में बदलाव लाने के अपने प्रयासों को जारी रखेंगे। उनके द्वारा लिए गए फैसले और जनता की न्यायिक पहुंच में सुधार की दिशा में किए गए कार्यों से उनका कार्यकाल न्याय प्रणाली में एक प्रेरणा के रूप में देखा जा रहा है।