Kbc winner journey: KBC के 5 करोड़ विजेता सुशील कुमार, पैसे से बड़ी होती है सुकून की कीमत

सुशील कुमार, KBC सीजन 5 में 5 करोड़ जीतने वाले बिहार के टीचर, ने जीत के बाद कई चुनौतियों का सामना किया। गलत निवेश, रिश्तों में खटास और मानसिक तनाव के बावजूद, उन्होंने जिंदगी को नए सिरे से जीना सीखा। अब वह टीचर हैं,और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं।

Sushil Kumar

Kbc winner journey:कौन बनेगा करोड़पति (KBC) का नाम सुनते ही सुशील कुमार की कहानी हर किसी के जहन में ताजा हो जाती है। 2011 में बिहार के एक छोटे से गांव से आए इस साधारण से टीचर ने KBC सीजन 5 में 5 करोड़ रुपये जीतकर सबको चौंका दिया था। हालांकि जीत के बाद उनकी जिंदगी में ऐसे उतार-चढ़ाव आए, जिनसे उन्होंने बहुत कुछ सीखा। उनकी कहानी हमें ये समझाती है कि पैसा सब कुछ नहीं है।

जीत के बाद खुशियों का वक्त ज्यादा लंबा नहीं रहा

5 करोड़ जीतने के बाद सुशील कुमार अचानक लाइमलाइट में आ गए। हर महीने 10-15 कार्यक्रमों में शामिल होने लगे, लेकिन इस चक्कर में उनकी पढ़ाई छूट गई। वो बिना अनुभव के नए-नए बिजनेस में पैसा लगाने लगे ताकि लोग ये न कहें कि वो कुछ नहीं कर रहे। लेकिन ये बिजनेस ज्यादा दिन नहीं टिक पाए।

दान का जुनून और रिश्तों में खटास

सुशील का दिल बहुत बड़ा था। उन्हें दूसरों की मदद करना अच्छा लगता था, इसलिए वो हर महीने 50,000 रुपये दान करने लगे। लेकिन कई बार लोग उनकी दरियादिली का गलत फायदा उठाने लगे।इतना ही नहीं, उनकी शादीशुदा जिंदगी भी मुश्किल में पड़ गई। उनकी पत्नी अक्सर कहती थीं कि उन्हें सही और गलत लोगों की पहचान नहीं है और वो भविष्य के बारे में सोचते नहीं। इस बात को लेकर दोनों में झगड़े बढ़ने लगे।

मुंबई का सपना और कड़वी हकीकत

जीत के बाद सुशील ने डायरेक्टर बनने का सपना देखा और मुंबई चले गए। उन्होंने फिल्में देखीं, प्रोडक्शन हाउस में काम किया, लेकिन जल्द ही समझ में आ गया कि ये सब उनके लिए नहीं है। उन्होंने खुद से ये सवाल किया, मैं यहां क्यों आया हूं? तब उन्हें एहसास हुआ कि वो सच्चाई से भाग रहे थे।

जिंदगी की नई शुरुआत

मुश्किलों से जूझने के बाद सुशील ने खुद को बदलने का फैसला किया। उन्होंने शराब और सिगरेट छोड़ दी और अपने गांव लौट आए। अब वो एक स्कूल में टीचर की नौकरी कर रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं।सुशील का कहना है, मैंने समझ लिया है कि असली खुशी छोटी-छोटी चीजों में है। जितना कमाया जाए, उतना ही खर्च किया जाए और बाकी वक्त समाज और पर्यावरण के लिए कुछ अच्छा करने में लगाया जाए।

 

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