नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने अपने मंत्री व विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे और राज्यपाल से मिलकर अपना त्यागपत्र उन्हें सौंप दिया है। इस फैसले से पहले बीरेन सिंह ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। इसी बीच गृह मंत्रालय ने सभी सुरक्षा एजेंसियों को हाईअलर्ट पर रहने के लिए कहा है। वहीं अब राज्य के नए सीएम के नाम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया
मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह ने रविवार शाम मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। रिजाइन देने से ठीक पहले वह दिल्ली में आकर गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसी के बाद चर्चा थी कि बीरेन सिंह सीएम पद से रिजाइन कर सकते हैं। वह अमित शाह से मिलने के बाद मणिपुर लौटे और अपने मंत्री व विधायकों के साथ राजभवन जाकर रायपाल को अपना त्यागपत्र सौंप दिया।
मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया
मणिपुर में मई 2023 से जातीय हिंसा चल रही है, जिसमें अब तक सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। राज्य में लगातार हो रही हिंसा के चलते एन बीरेन सिंह भारी दबाव में थे और उनको पद से हटाने की मांग जोर पकड़ रही थी। एनडीए की सहयोगी एनपीपी ने भी मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था और नेतृत्व परिवर्तन करने की मांग की थी। हालांकि बीरेन सिंह ने तब साफ तौर पर रिजाइन करने से इंकार कर दिया था।
अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा
मणिपुर में मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय के बीच हिंसा पिछले साल तीन मई को उस समय शुरू हुई थी, जब मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ आदिवासी छात्रों संघ ने एक रैली आयोजित की थी, जिसमें मणिपुरी समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद से राज्य में हिंसा का सिलसिला जारी है, और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए केंद्र सरकार को अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा।
राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी
हिंसा भड़कने के बाद सीएम बीरेन सिंह ने जनता से माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि यह पूरा साल बेहद खराब रहा। मैं राज्य के लोगों से तीन मई 2023 से लेकर आज तक जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए माफी मांगता हूं। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया। मुझे इसका दुख है। पिछले तीन-चार महीनों में शांति की स्थिति देखकर मुझे उम्मीद है कि 2025 में राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।
राजनीति में उथल-पुथल
बीरेन सिंह के इस्तीफे से मणिपुर की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। देखना होगा कि राज्य में आगे क्या होता है। केंद्र सरकार की भूमिका भी अहम होगी। शांति बहाली के लिए ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है। वहीं मणिपुर में जातीय संघर्ष के बाद राज्य दो हिस्सों में बंट गया है। घाटी में मेइती समुदाय का नियंत्रण है। पहाड़ियों पर कुकी समुदाय का दबदबा है। आरक्षण और अनुदान को लेकर हिंसा हुई।
स्पेशल पावर्स एक्ट लगा
प्रदर्शनकारियों ने मंत्रियों और विधायकों के घरों पर हमला किया। सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े। हिंसा और बढ़ गई। केंद्र सरकार ने और सुरक्षाबल भेजे। आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पावर्स) एक्ट फिर से लागू कर दिया गया। यह अशांति पिछले साल ’आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद शुरू हुई। मेइती समुदाय अनुसूचित जनजाति का दर्जा चाहता था। इस मांग के कारण मेइती, कुकी और नागा समूहों के बीच हिंसक झड़पें हुईं।