Manipur violence: मणिपुर एक बार फिर जातीय हिंसा की चपेट में आ गया है, जिससे राज्य के पांच जिलों—इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग—में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाएं बंद कर दी गई हैं। हिंसा की शुरुआत अरंबाई टेंगगोल संगठन के स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी की अफवाह से हुई, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन और झड़पें शुरू हो गईं। सड़कों पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं देखी गईं, जिससे हालात और बिगड़ गए। प्रशासन ने कर्फ्यू और धारा 144 लागू कर दी है। यह संघर्ष मणिपुर में लंबे समय से चले आ रहे मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय तनाव का ताजा उदाहरण है, जो लगातार राज्य की स्थिरता को चुनौती दे रहा है।
अफवाह, अविश्वास और पुराना तनाव
8 जून 2025 को इंफाल में तब हिंसा भड़क उठी जब अरंबाई टेंगगोल संगठन से जुड़े पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की अफवाह फैली। इस खबर ने मैतेई समुदाय में आक्रोश फैला दिया, जिसके बाद हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों ने हालात को और बिगाड़ दिया। मणिपुर पहले से ही मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी संघर्ष से जूझ रहा है, जिसमें अब तक सैकड़ों जानें जा चुकी हैं। यह विवाद मैतेई समुदाय को एसटी दर्जा देने की मांग को लेकर शुरू हुआ था।
इंटरनेट बैन और प्रशासनिक सख्ती
Manipur राज्य सरकार ने पांच जिलों में पांच दिनों के लिए इंटरनेट और मोबाइल डेटा पर प्रतिबंध लगा दिया है। वीपीएन सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है ताकि सोशल मीडिया पर अफवाहों और भड़काऊ सामग्री के प्रसार को रोका जा सके। बिष्णुपुर में पूर्ण कर्फ्यू लगाया गया है, जबकि अन्य जिलों में पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर पाबंदी है। मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर इन प्रतिबंधों की पुष्टि की और नागरिकों से अफवाहों से दूर रहने की अपील की है।
आगजनी, तोड़फोड़ और जिरीबाम का उदाहरण
प्रदर्शनकारियों ने कई स्थानों पर वाहनों और संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया। सड़कों पर अवरोधक लगाए गए, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हुआ। इंफाल घाटी में पहले भी विधायकों के घरों पर हमले हो चुके हैं—जैसे नवंबर 2024 में मंत्री गोविंददास कोंथौजम के आवास पर हमला। जिरीबाम जिले में भी उग्रवादियों ने स्कूल और घरों को जला दिया था। ये घटनाएं राज्य में सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर चुनौती को दर्शाती हैं।
हिंसा की भयावह तस्वीर
मई 2023 से अब तक की Manipur हिंसा में 258 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, 1,500 से अधिक घायल हुए और करीब 60,000 लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। 4,786 घर जला दिए गए और 386 धार्मिक स्थलों—254 चर्च और 132 मंदिर—को नुकसान पहुंचाया गया। मैतेई समुदाय की 53% जनसंख्या इंफाल घाटी में रहती है, जबकि कुकी और नागा जनजातियां पहाड़ियों में निवास करती हैं। दोनों समुदायों के बीच अविश्वास और संघर्ष ने राज्य की सामाजिक संरचना को तोड़ दिया है।
सरकार की कोशिशें और आलोचना
हिंसा को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए। 2023 में गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर दौरा किया और शांति वार्ता की कोशिश की। एक जांच आयोग भी गठित किया गया। लेकिन विपक्ष सरकार की नीयत और कार्रवाई को लेकर सवाल उठा रहा है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से मणिपुर जाकर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि Manipur में “संवैधानिक मशीनरी” का पतन होता दिख रहा है।
नतीजा और आगे की राह
हालात अब भी काबू से बाहर हैं। इंटरनेट बैन और कर्फ्यू जैसी तात्कालिक नीतियां शांति के लिए जरूरी जरूर हैं, लेकिन स्थायी समाधान नहीं। मणिपुर में शांति बहाली के लिए दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाली, न्यायसंगत राजनीतिक समाधान और संवेदनशील प्रशासनिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। जब तक संवाद और समावेशी नीति नहीं अपनाई जाती, तब तक यह जातीय विभाजन और हिंसा का चक्र चलता रहेगा।
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