Maulana Abul Kalam Azad : मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का शहर में हुआ था। उनका असली नाम अबुल कलाम मोहिउद्दीन अहमद था। उनके पिता, खैरूद्दीन, 1857 के विद्रोह के बाद भारत से मक्का चले गए थे और वहां 30 साल तक रहे। फिर 1895 में वह अपने परिवार के साथ भारत लौट आए और कलकत्ता में रहने लगे। जब अबुल कलाम 11 साल के थे, तब उनकी मां का निधन हो गया इसके बाद, उनके पिता ने ही उन्हें शिक्षा दी और घर पर ही उनकी पढ़ाई-लिखाई हुई,उन्होंने किसी स्कूल, मदरसा या विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं की थी।
1923 चुना गया पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष
अबुल कलाम आजाद (Abul kalam Azad) जब बड़े हुए, तब स्वतंत्रता संग्राम अपने उफान पर था। 18 जनवरी 1920 को उन्होंने महात्मा गांधी से पहली मुलाकात की, जिसके बाद वह जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं से भी जुड़े। 1923 में उन्हें पहली बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया और फिर 1940 में भी। इसी दौरान मोहम्मद अली जिन्ना ने देश के बंटवारे का प्रस्ताव रखा। महात्मा गांधी और कांग्रेस के नेताओं ने जिन्ना को समझाने की जिम्मेदारी अबुल कलाम आजाद को दी, लेकिन जिन्ना उनसे खासे नाराज थे और उन्होंने एक पत्र में यह लिखा कि वह अबुल कलाम आजाद से न तो बात करना चाहते थे और न ही पत्राचार। उनका मानना था कि आजाद भारतीय मुसलमानों का विश्वास खो चुके हैं।
नेहरू से हुए मतभेद की वजह
1937 के चुनाव के बाद कांग्रेस ने अबुल कलाम आजाद (Abul kalam Azad) को उत्तर भारतीय राज्यों में पार्टी की सरकार बनाने की जिम्मेदारी दी। उन्होंने उत्तर प्रदेश में मुस्लिम लीग के दो नेताओं को कांग्रेस सरकार में शामिल करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन जवाहरलाल नेहरू इस पर अड़ गए और केवल एक स्थान देने पर सहमत हुए। इससे मुस्लिम लीग को उत्तर प्रदेश में नई शक्ति मिली, जिसका फायदा बाद में जिन्ना ने उठाया।
बंटवारे के खिलाफ उठाया आवाज
मौलाना अबुल कलाम आजाद (Abul kalam Azad) भारत के बंटवारे के कट्टर विरोधी थे। जब माउंटबेटन ने विभाजन की योजना बनाई, जिसमें एक अलग मुस्लिम राष्ट्र का प्रस्ताव था, तो आजाद इससे बहुत नाराज हुए। उन्होंने कहा कि वह किसी भी हालत में भारत को दो टुकड़ों में नहीं बांटने देंगे। हालांकि, मार्च 1947 में सरदार पटेल भी विभाजन के पक्ष में हो गए, जिससे आजाद को गहरा दुख हुआ। विभाजन के बाद जब मुसलमान पाकिस्तान जाने लगे, तो उन्होंने उन्हें रोकने की पूरी कोशिश की।
आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने
भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में, मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपनी भूमिका निभाई। आजादी के बाद, वह उत्तर प्रदेश के रामपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर शिक्षा मंत्री बने।
उनकी जीवनशैली
वह पारंपरिक भारतीय पोशाक पहनते थे, लेकिन आधुनिक जीवनशैली रखते थे। जवाहरलाल नेहरू के सचिव एम. ओ. मथाई के मुताबिक, आजाद को शाम 6 बजे के बाद कोई काम करना या किसी से मिलना पसंद नहीं था। आजादी के बाद उनकी सेहत बिगड़ी और उन्हें चलने में मुश्किलें आने लगी। 19 फरवरी 1958 को बाथरूम में गिरने से उन्हें गंभीर चोटें आईं और 22 फरवरी 1958 को उन्होंने अंतिम सांस ली।