नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। मुम्बई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को लेकर एनआईए की टीम भारत पहुंच चुकी हैं। आतंकी का विमान दिल्ली में लैंड किया। अब एनआईए उसे अदालत में पेश कर रिमांड पर लेगी। फिलहाल तहव्वुर राणा को तिहाड़ जेल में एक स्पेशल अंडा सेल पर रखा जाएगा। जांच एजेंसियां जेल में ही आतंकी से पूछताछ करने के साथ ही उसे कसाब की तरह फांसी की सजा दिलाए जाने को लेकर चार्जशीट तैयार करेंगी।
आतंकी (Tahawwur Rana) की भारत में आने की खबर से पूरे देश में खुशी का माहौल है। आर्थिक राजधानी मुम्बई भी गदगद है तो वहीं ‘छोटू चाय वाला’ उर्फ मोहम्मद तौफीक भी मुस्काए। जिगरवाले ने पीएम नरेंद्र मोदी से अपील की है कि आरोपी को जल्द से जल्द फांसी की सजा दिलाएंगे। अगर जरूरत पड़ेगी तो मैं खुद कोर्ट में गवाही दूंगा।
दरअसल, मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले में आरोपी तहव्वुर राणा को गुरुवार को अमेरिका से भारत से आ गया। भारत प्रत्यर्पित होने से बचने के लिए राणा ने सारे हथकंडे अपनाए, पर अमेरिका की अदालतों में उसकी कोई चाल सफल नहीं हुई। राणा ने प्रत्यर्पण से बचने के आखिरी दांव के रूप में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद एनआईए की एक टीम अमेरिका के लिए रवाना हुई। जेल से राणा को लेकर भारत के लिए उड़ान भरी। पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का अहम सदस्य हैं। राणा और उसके गुर्गों को मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों की मदद करने के लिए अमेरिका में दोषी ठहराया गया था। हमले में 160 से अधिक लोग मारे गए थे।
तहव्वुर राणा के भारत आने पर मुम्बई के ‘छोटू चाय वाला’ उर्फ मोहम्मद तौफीक बहुत खुश हैं। ‘छोटी चाय वाला’ की सतर्कता ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान कई लोगों की जान बचाई थी। मोहम्मद तौफीक ने कहा कि भारत को तहव्वुर राणा को जेल में खास सेल, बिरयानी और वैसी सुविधाएं देने की कोई जरूरत नहीं है, जो मुंबई हमलों में शामिल आतंकवादियों में से एक अजमल कसाब को दी गई थीं। उन्होंने यह भी मांग की कि आतंकवादियों से निपटने के लिए अलग कानून होने चाहिए।
छोटू चाय वाले ने कहा कि एक ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे उन्हें 2-3 महीने के भीतर फांसी पर लटका दिया जाए। उर्फ मोहम्मद तौफीक ने कहा कि मैंने अपनी आंखों से सैकड़ों लोगों को मरते देखा। कसाब एंड आतंकी बिग्रेड ने बच्चे, बुजुर्ग महिलाओं को गोलियों से भूना था। मैं राणा के खिलाफ कोर्ट में गवाही दूंगा और उसे फांसी मिले, इसकी मांग भी करूंगा। छोटू चाय वाले ने आगे कहा कि हम तो चाहते हैं कि राणा (Tahawwur Rana) को 15 दिनों के अंदर फांसी पर लटका देना चाहिए। जिससे कि दूसरा कोई और आतंकी हमला करने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर हो।
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बता दें, पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि उन्होंने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। अमेरिकी यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में बोलते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एलान किया था कि मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरे प्रशासन ने दुनिया के सबसे बुरे लोगों और मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं में से एक को भारत में न्यायिक प्रक्रिया का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दे दी है। इसलिए भारत वापस जा रहा है।
पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक राणा पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी है। हेडली 26 नवंबर, 2008 के मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। 26 नवंबर को 10 पाकिस्तानी आतंकियों के एक समूह ने अरब सागर में समुद्री मार्ग के जरिए भारत की वित्तीय राजधानी में घुसने के बाद एक रेलवे स्टेशन, दो होटलों और एक यहूदी केंद्र पर हमला किया था। लगभग 60 घंटे तक चले इस हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
हमले के बाद आतंकी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। नवंबर 2012 में अजमल आमिर कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटका दिया गया था। तहव्वुर राणा पाक आर्मी में डॉक्टर की पोस्ट पर तैनात थे। राणा ने हफिज सईद और आईएसआई के साथ मिलकर आतंकी हमले का प्लान बनाया। राणा ही वह शख्स था, जिसने आतंकी हमले के लिए फंडिंग की थी। राणा हमले से ठीक चार दिन पहले मुम्बई आया था। ताज से लेकर अन्य स्थलों की रेकी भी की थी।
राणा (Tahawwur Rana) ने भारत में आने को लेकर कई षणयंत्र रखे। उसने 27 फरवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट न्यायाधीश व नाइंथ सर्किट की सर्किट जज एलेना कागन के समक्ष बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक के लिए आपातकालीन आवेदन दिया था। गत माह की शुरुआत में ही जज कागन ने अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद राणा ने फिर से अर्जी दी। 4 अप्रैल को इस पर सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज कर दी। इससे पहले भी राणा ने बीमारी और भारत में अपनी जान को खतरा बताकर प्रत्यर्पण से छूट मांगी थी।