Mumbai 26/11 Attack: मुंबई पर हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले को आज 17 साल पूरे हो गए हैं। समय बीत गया, लेकिन उस दर्दनाक रात की यादें आज भी कई लोगों के दिलों में जिंदा हैं। उसी काली रात को अपनी आंखों से देखने वाले चश्मदीद मोहम्मद तौफीक शेख आज भी उसका असर महसूस करते हैं। उनका कहना है कि इतने साल गुजर जाने के बाद भी नींद ठीक से नहीं आती। वह बताते हैं कि अक्सर सुबह के पांच या छह बजे ही उनकी आंख लगती है, क्योंकि दिमाग में अब भी वही मंज़र घूमते रहते हैं।
चश्मदीद तौफीक शेख की दर्द भरी यादें
तौफीक शेख कहते हैं, उस रात अंधेरा था और बुधवार का दिन था। स्टेशन पर अफरा-तफरी मची हुई थी। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं हर कोई बिना किसी भेदभाव के मारा जा रहा था। उनके अनुसार, उस रात किसी की जाति या धर्म नहीं देखा जा रहा था, सिर्फ मौत और डर का साया था। उन्होंने बताया कि उन्होंने सात से आठ घायल लोगों को उठाया और कम से कम तीन से चार लोगों की जान बचाने में सफल रहे। एक रेलवे स्टाफ की जान भी उन्होंने बचाई। तौफीक याद करते हैं कि टिकट काउंटर पर खड़े तीन-चार लोगों पर लोहे की रॉड से हमला किया जा रहा था। उसी दौरान वे भी पीछे से घायल हो गए। जब हमलावरों ने गंदी गालियां दीं, तब उन्हें एहसास हुआ कि वे आतंकी हैं। बाद में पुलिस वालों ने उनसे पूछताछ की और उन्हें चाय भी दी।
तौफीक बताते हैं कि क्राइम ब्रांच ने उन्हें बुलाकर पूछताछ की थी। उन्होंने एक हमलावर की पहचान की क्योंकि उन्होंने सिर्फ उसी को साफ देखा था। कोर्ट में भी उन्हें फोटो के जरिए पहचान कराने के लिए बुलाया गया था।
देविका रोटावन की पीड़ा आज भी वही
हमले से बची देविका रोटावन, जो उस वक्त सिर्फ एक बच्ची थीं, आज भी उस डरावनी रात को नहीं भूल पातीं। वह कहती हैं कि 17 साल बीत गए, लेकिन उनके लिए समय जैसे वहीं रुका हुआ है। उन्हें आज भी अपने पैर में लगी गोली का दर्द महसूस होता है। उनके मन में उस रात का डर आज भी गहरा बैठा है। देविका कहती हैं कि दूसरों के लिए 26/11 सिर्फ एक तारीख बन गई है, लेकिन जिन लोगों ने उसे अपनी आंखों से देखा, उनके लिए वह पल हमेशा के लिए दिल में बस गया है।
