ऑपरेशन सिंदूर पर गर्व, पीएम मोदी को सलाम
बैठक की शुरुआत में शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर पीएम नरेंद्र मोदी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई ने देशवासियों में गर्व और आत्मविश्वास की नई लहर पैदा की है। शिंदे ने प्रधानमंत्री की उस टिप्पणी को भी दोहराया जिसमें मोदी ने कहा था कि “उनकी नसों में लहू नहीं, गरम सिंदूर बहता है।” उन्होंने कहा कि यह केवल एक सैन्य ऑपरेशन नहीं था, बल्कि भारत की संप्रभुता और आत्मसम्मान की रक्षा का स्पष्ट संदेश था। शिंदे ने दोहराया कि “जो भारत से टकराएगा, वह मिट्टी में मिल जाएगा।”
जातिगत जनगणना पर एनडीए का समर्थन, विपक्ष को घेरने की तैयारी
NDA बैठक में दूसरा प्रस्ताव जातिगत जनगणना के समर्थन में पारित किया गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में इस प्रस्ताव को राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है। इससे एनडीए ने विपक्ष को सामाजिक न्याय के मुद्दे पर अकेला पड़ने से रोकने का प्रयास किया है। विशेषकर बिहार जैसे राज्य में जहां जातिगत समीकरण चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, वहां इस प्रस्ताव से एनडीए की चुनावी तैयारियों का संकेत साफ नजर आया। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे एनडीए सामाजिक प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर विपक्ष की मोनोपॉली को चुनौती दे सकता है।
प्रधानमंत्री की मौजूदगी में 20 मुख्यमंत्री, 18 उपमुख्यमंत्री जुटे
NDA बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले से मौजूद थे। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, एमपी के मोहन यादव, ओडिशा के मोहन चरण मांझी, महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस, बिहार के नीतीश कुमार और नागालैंड के नेफ्यू रियो समेत कई प्रमुख चेहरे मौजूद रहे। इसके अलावा बैठक में 18 डिप्टी सीएम भी शामिल हुए, जिससे एनडीए की एकता और विस्तार का संदेश गया।
विकास और राष्ट्रवाद की नई धारा
NDA की यह बैठक जहां सुशासन और विकास योजनाओं पर केंद्रित रही, वहीं सियासी रणनीति का भी मजबूत संकेत दे गई। बिहार चुनाव को लेकर एनडीए ने एकजुट होकर तैयारी का संदेश दिया है। जातिगत जनगणना का समर्थन और सैन्य कार्रवाई पर पीएम मोदी को सम्मान देना, दोनों ही बातें यह दर्शाती हैं कि एनडीए राष्ट्रवाद और सामाजिक न्याय को एकसाथ साधने की नीति पर आगे बढ़ रहा है। यह बैठक 2024 में एनडीए-3 के गठन के बाद पहली बड़ी रणनीतिक बैठक रही, जो आगामी चुनावी युद्ध की नींव रखती दिख रही है।