NDLS stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार (15 फरवरी) रात भारी भगदड़ मचने से 18 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे में मरने वालों में 9 महिलाएं, 4 पुरुष और 5 बच्चे शामिल हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, त्योहारों में भी इतनी भीड़ पहले कभी नहीं देखी गई थी। भगदड़ तब मची जब अचानक प्लेटफॉर्म बदलने की अफवाह फैल गई, जिससे हजारों यात्री एक साथ फुट ओवर ब्रिज की ओर भागे। NDLS प्रशासन की ओर से भीड़ नियंत्रित करने के लिए किए गए प्रयास नाकाफी साबित हुए। मौके पर मौजूद कुलियों और यात्रियों ने बताया कि हालात बेहद भयावह थे, कई लोग पुल और एस्केलेटर पर दब गए।
26 साल से दुकान चला रहे दुकानदार ने क्या बताया?
NDLS पर प्लेटफॉर्म पर दुकान चलाने वाले एक दुकानदार ने कहा, “मैं 26 साल से यहां हूं, लेकिन इतनी भीड़ पहले कभी नहीं देखी। हर 20-25 मिनट में स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही थीं, फिर भी ट्रेनें खचाखच भरी थीं।”
एक अन्य चश्मदीद के मुताबिक, प्लेटफॉर्म नंबर 13 पर खड़े यात्री जब 14 और 15 नंबर प्लेटफॉर्म पर ट्रेनें देखकर उधर दौड़ पड़े, तो हालात बेकाबू हो गए। रेलवे प्रशासन ने भीड़ को कंट्रोल करने की कोशिश की, लेकिन यात्रियों की भारी संख्या के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोगों की जान चली गई।
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प्रत्यक्षदर्शियों की आपबीती
घटनास्थल पर मौजूद कुली बलराम ने बताया, “प्रयागराज जाने वाली ट्रेन को 12 नंबर से 16 नंबर पर कर दिया, तो लोग उधर भागने लगे। पुल और एस्केलेटर पर यात्री फंस गए। मैंने खुद 15 लाशें उठाईं। प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं था। दमकल गाड़ियां भेजी गईं, लेकिन उससे मदद नहीं मिली।”
एक महिला ने बताया, “हम आधे घंटे तक भीड़ में दबे रहे, मेरी ननद की मौत हो गई। उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन उसके मुंह से झाग निकल रहा था। हालात इतने खराब थे कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया था।”
प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि NDLS प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के कोई ठोस इंतजाम नहीं किए थे। आरपीएफ जवान नजर नहीं आ रहे थे और स्टेशन पर कोई दिशा-निर्देश नहीं था। महिला यात्री ने कहा, “अगर हमें पता होता कि यहां इतनी भीड़ होगी तो हम कभी नहीं आते।”
सरकार ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा की है। हालांकि, इस हादसे ने रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।