कलेक्टर ने कहा, “भीख मांगने के खिलाफ हमारा जागरूकता अभियान दिसंबर के अंत तक चलेगा। यदि कोई 1 जनवरी से भीख देते हुए पाया गया, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। मैं इंदौर के सभी निवासियों से अपील करता हूं कि वे किसी भी व्यक्ति को भीख देकर पाप के भागीदार न बनें।”
इसके अलावा, कलेक्टर ने यह भी बताया कि हाल के महीनों में प्रशासन ने भिखारियों को भीख मांगने के लिए मजबूर करने वाले कई गिरोहों का पर्दाफाश किया है और कई भिखारियों का पुनर्वास भी किया गया है। गौरतलब है कि केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश के 10 शहरों को भिखारी मुक्त बनाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें इंदौर भी शामिल है।
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हाल ही में, इंदौर पुलिस और प्रशासन की टीमों ने 14 भिखारियों को पकड़ा था। इस दौरान, राजवाड़ा के शनि मंदिर के पास भीख मांग रही एक महिला से 75 हजार रुपये बरामद किए गए थे, जिन्हें उसने केवल 10-12 दिनों में इकट्ठा किया था। इस अभियान के तहत प्रशासन ने उन परिवारों पर कड़ी निगरानी भी रखी है, जो बार-बार पकड़े जाने के बावजूद भिक्षावृत्ति में लिप्त हैं।