कौन है ‘वो’ जिसने नीतीश कुमार और ओवैसी के बीच करवाई फ्रेंडशिप, लगी मुहर अब NDA को समर्थन देंगे AIMIM चीफ

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ने कहा, ‘हम नीतीश कुमार की सरकार का समर्थन देने को तैयार हैं, लेकिन सीमांचल को न्याय मिलना चाहिए।

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को प्रचंड जीत मिली। नीतीश कुमार दसवीं बार सूबे के सीएम पद का शपथ ली। जीत के बाद एनडीए का कुनबा गदगद है तो वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी मुस्करा रहे हैं। हैदराबाद के भाईजान खुलकर तेजस्वी और राहुल गांधी की चुटकी ले रहे हैं। साथ ही पार्टी की जीत पर उन्होंने बड़ा ऐलान भी कर दिया है। औवैसी ने बिहार की धरती से कहा कि उनकी पार्टी बिहार में नीतीश कुमार सरकार को समर्थन देने को तैयार है, लेकिन इसके लिए एक शर्त है। वह शर्त है कि सीमांचल क्षेत्र को उसके हक का न्याय मिले।

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद राजनीति का एक दिलचस्प दृश्य दिखाई दे रहा है। जहां महागठबंधन के दो बड़े चेहरे- तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जनता से दूरी बनाए हुए हैं, वहीं असदुद्दीन ओवैसी चुनाव परिणाम आते ही सीधे सीमांचल की जनता के बीच पहुंच गए हैं। औवैसी ने अमौर में आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया। इस मौके पर ओवैसी ने कहा कि सीमांचल दशकों से उपेक्षा का शिकार रहा है और अब यह स्थिति बदलनी चाहिए। ओवैसी ने कहा, ‘हम नीतीश कुमार की सरकार का समर्थन देने को तैयार हैं, लेकिन सीमांचल को न्याय मिलना चाहिए।

असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि विकास सिर्फ पटना और राजगीर तक सीमित नहीं रहना चाहिए। सीमांचल आज भी नदी कटाव, भारी पलायन और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। सरकार को इन मुद्दों. गंभीरता दिखानी होगी। ओवैसी ने अपने भाषण में ये भी कहा कि सीमांचल की जनता एआईएमआईएम के साथ मजबूती से खड़ी है और आगे भी रहेगी। उन्होंने कहा कि पटना को अब समझ लेना चाहिए कि सीमांचल की आवाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनका दावा था कि आने वाले समय में जो भी संदेश सरकार तक पहुंचेगा, वह सीमांचल की जनता की ओर से ही जाएगा। ओवैसी ने यह संकेत दिया कि अगर सरकार ईमानदारी से सीमांचल की समस्याओं पर काम करती है, तो पार्टी बिना किसी झिझक के समर्थन दे सकती है।

असदुद्दीन ओवैसी ने इस मौके पर अपने विधायकों पर कड़ी निगरानी रखने की बात कही, ताकि किसी तरह की राजनीतिक टूट-फूट न हो। उन्होंने बताया कि एआईएमआईएम के पांचों विधायकों को हफ्ते में दो दिन अपने विधानसभा कार्यालय में बैठना होगा। वे अपनी लाइव व्हाट्सएप लोकेशन और फोटो भी भेजेंगे जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे वास्तव में वहां मौजूद हैं। ओवैसी ने कहा कि इस प्रणाली को छह महीने के भीतर लागू किया जाएगा और वे खुद भी हर छह महीने में एक बार सीमांचल आकर जनता से मुलाकात करेंगे। उनका कहना था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तभी सफल होगी, जब नेता जनता के बीच रहेंगे। ओवैसी ने कहा कि कुछ लोग सेकुलरिज्म को चोला ओड़कर मुस्लिमों का वोट लेते आ रहे हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बिहार की जनता ने बता दिया है कि मुसलमान भी सरकार कुर्सी पर बैठेगा।

असदुद्दीन ओवैसी चुनाव परिणाम आते ही सीधे सीमांचल की जनता के बीच पहुंच गए हैं। यह सिर्फ एक धन्यवाद और आभार यात्रा नहीं, बल्कि आने वाले दिनों की सियासी रणनीति का संकेत है। असल में, तेजस्वी यादव चुनावी हार के बाद लगातार सोशल मीडिया और मीडिया दोनों से दूरी बनाए हुए है।. न कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस, न जनता के बीच कोई बड़ा दौरा। बिहार चुनाव में हार के बाद उनकी यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। नीतीश कुमार की सरकार बनते ही विपक्ष के नेता से यह अपेक्षा थी कि वे जनादेश को समझते, जनता के बीच जाकर संदेश देते और पार्टी कैडर को मजबूत रखने की कोशिश करते, लेकिन इसके उलट राजद खेमे में मानो निराशा और सन्नाटा है। राजनीति के जानकारों के अनुसार, तेजस्वी इस समय अपने संगठन, परिवार और भविष्य की राजनीतिक दिशा को लेकर आंतरिक मंथन में हैं। लेकिन लोकतंत्र में हार और जीत दोनों जनता के बीच खड़े होकर स्वीकार किए जाते हैं।

 

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