Priyanka Gandhi Speech Hindu vs Bhartiya: संसद के मॉनसून सत्र में पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बड़ा राजनीतिक संग्राम देखने को मिला। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने बैसरन घाटी में मारे गए 25 लोगों को ‘भारतीय’ बताया और सरकार से सवाल पूछे कि आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई। लेकिन जैसे ही उन्होंने “भारतीय” शब्द दोहराया, भाजपा सांसदों ने आपत्ति जताई और कहा कि वे सभी “हिंदू तीर्थयात्री” थे। इस पर सत्ता और विपक्ष आमने-सामने आ गए। एक तरफ भारतीयता की भावना थी, तो दूसरी ओर हिंदू पहचान पर गर्व का दावा। इस टकराव ने संसद को धर्म बनाम राष्ट्रवाद की बहस का अखाड़ा बना दिया, जहां हर पक्ष ने अपनी वैचारिक सोच को उच्च स्वर में पेश किया।
संसद में धर्म बनाम राष्ट्र की पहचान की बहस
संसद के मॉनसून सत्र में उस वक्त घमासान मच गया, जब कांग्रेस सांसद Priyanka Gandhi ने पहलगाम हमले में मारे गए श्रद्धालुओं को ‘भारतीय’ कहकर संबोधित किया। भाजपा सांसदों को यह रास नहीं आया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मारे गए लोग हिंदू तीर्थयात्री थे और उनके धर्म की पहचान छिपाना शहीदों के अपमान जैसा है।
जब Priyanka Gandhi ने बैसरन घाटी में मारे गए श्रद्धालुओं के नाम पढ़ना शुरू किया और उन्हें ‘भारत के बेटे’ बताया, तभी सत्ता पक्ष से “हिंदू थे वे” के नारे लगने लगे। इसके जवाब में विपक्ष की ओर से “भारतीय-भारतीय” के नारे गूंजे। संसद का नजारा मानो धर्म और राष्ट्र की परिभाषा पर छिड़ी वैचारिक लड़ाई का मैदान बन गया।
प्रियंका गांधी का जवाब: “वे किसी मजहब के मोहरे नहीं”
Priyanka Gandhi ने सदन में कहा, “वे लोग हमारे देश के नागरिक थे। उनका मजहब क्या था, इससे पहले यह मानिए कि वे इंसान थे। किसी राजनीतिक बिसात के मोहरे नहीं थे।” उन्होंने कहा कि उन्हें मारा गया, क्योंकि वे असुरक्षित थे।
उन्होंने पूछा, “क्या प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को जवाब नहीं देना चाहिए कि 22 अप्रैल को पहलगाम में यह हमला कैसे हुआ? 25 भारतीयों की जान गई, और सरकार मौन क्यों है?”
प्रियंका ने कहा कि देश की सुरक्षा व्यवस्था का सवाल है और सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि पीड़ित परिवारों को सच्चाई जानने का हक है।
भाजपा का प्रतिरोध: ‘हिंदू होने पर शर्म क्यों?’
भाजपा सांसदों ने पलटवार करते हुए प्रियंका पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिन श्रद्धालुओं की हत्या हुई, वे अमरनाथ यात्रा पर निकले हिंदू तीर्थयात्री थे, और उनके धर्म की बात करने से भागना तथ्यों से भागना है।
एक सांसद ने कहा, “क्या हिंदू होना अब अपमानजनक हो गया है? क्यों हर बार कांग्रेस पीड़ित हिंदुओं की पहचान छिपाना चाहती है?”
सत्ता पक्ष ने प्रियंका के बयानों को ‘धार्मिक असत्यनिष्ठा’ बताते हुए कहा कि कांग्रेस सिर्फ वोटबैंक की राजनीति कर रही है और हिंदू समुदाय के बलिदान को नजरअंदाज कर रही है।
धार्मिक रंग में लिपटा राष्ट्रीय मुद्दा
पहलगाम का हमला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं रह गया। अब यह हमला धर्म, पहचान और राष्ट्रवाद के बीच बहस का केंद्र बन गया है। प्रियंका गांधी का इंसानियत का तर्क जहां संवेदनशील नजर आया, वहीं भाजपा ने इसे धार्मिक गर्व और सच से जोड़कर जवाब दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बहस 2025 की राजनीति को एक नया मोड़ दे सकती है—जहां धर्म और राष्ट्र की परिभाषाएं चुनावी रणनीतियों का हिस्सा बन जाएंगी।
पहलगाम के श्रद्धालु सिर्फ आतंक के शिकार नहीं, अब राजनीति की शब्दयुद्ध में भी मोहरे बन गए हैं—और सवाल यही है कि क्या देश की पहचान धर्म से ऊपर उठ पाएगी?