Pamban Bridge: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज तमिलनाडु के रामेश्वरम में भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट पंबन रेलवे ब्रिज का उद्घाटन करने के लिए पहुंचे और जिसके बाद उन्होंने ब्रिज का उद्घाटन किया। यह ब्रिज जो 700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है न केवल भारतीय इंजीनियरिंग का गौरव है बल्कि रामायण के सांस्कृतिक महत्व से भी जुड़ा है। उद्घाटन के बाद पीएम मोदी रामेश्वरम से तांबरम (चेन्नई) के लिए नई ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाया और इसके बाद मंदिर में दर्शन करेंगे।
क्या हैं इस ब्रिज की विशेषता
नए पंबन ब्रिज (Pamban Bridge) का निर्माण कार्य पिछले साल नवंबर में पूरा हो गया था। हाल ही में रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने निरीक्षण के बाद इसे यात्री रेल यातायात के लिए मंजूरी दी। यह 2.08 किलोमीटर लंबा ब्रिज 99 स्पैन और 72.5 मीटर के वर्टिकल लिफ्ट स्पैन से युक्त है जो 17 मीटर तक उठ सकता है जिससे पानी के जहाज आसानी से गुजर सकें। स्टेनलेस स्टील और वेल्डिंग जोड़ों से बना यह ब्रिज जंगरोधी कोटिंग के कारण खारे समुद्री वातावरण में टिकाऊ और कम रखरखाव वाला है।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार पंबन ब्रिज का सांस्कृतिक महत्व गहरा है। रामायण के अनुसार राम सेतु का निर्माण रामेश्वरम के पास धनुषकोडी से शुरू हुआ था। रामेश्वरम जो बंगाल की खाड़ी में तमिलनाडु के अंतिम छोर पर स्थित है और भारत-श्रीलंका की समुद्री सीमा के निकट है को यह ब्रिज मुख्य भूमि से जोड़ता है।
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क्या हैं पंबन ब्रिज का इतिहास
पंबन ब्रिज की योजना ब्रिटिश सरकार ने एक शताब्दी पहले तैयार की थी ताकि धनुषकोडी और थलाईमन्नार (श्रीलंका) के बीच समुद्री मार्ग सुगम हो। 1911 में शुरू हुआ यह कार्य 1914 में पूरा हुआ और 24 फरवरी 1914 को चेन्नई से धनुषकोडी तक पहली ट्रेन चली। इसे अमेरिकी कंपनी शेर्जर रोलिंग लिफ्ट ब्रिज ने डिजाइन किया और इंग्लैंड की कंपनी ने निर्माण किया। पुराना ब्रिज जो समुद्र तल से 12.5 मीटर ऊंचा था 143 स्तंभों और 289 फीट के सस्पेंशन सेक्शन से बना था, जिसे मैन्युअली खोला जाता था।
86 वर्षीय सिंगम ने मीडिया से बताया कि “नौ साल की उम्र में मैंने इस ब्रिज पर ट्रेन से यात्रा की थी। समुद्र के बीच ट्रेन का अनुभव डरावना लेकिन रोमांचक था।” हालांकि 2022 में आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट के बाद अत्यधिक कंपन के कारण ट्रेन सेवा 23 दिसंबर 2022 को बंद कर दी गई। नया ब्रिज न केवल तकनीकी उपलब्धि है बल्कि रामेश्वरम को विश्वस्तरीय कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।