Parliament Monsoon Session Live: Parliament के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष ने बिहार की वोटर लिस्ट गड़बड़ी और ‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर सड़कों पर आकर जोरदार प्रदर्शन किया। करीब 300 विपक्षी सांसदों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में संसद से चुनाव आयोग के कार्यालय तक पैदल मार्च निकाला, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिताली बाग और महुआ मोइत्रा बेहोश हो गईं, वहीं समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने बैरिकेड फांदकर आगे बढ़ने की कोशिश की। Parliament विपक्ष ने ‘सिंगल इंसिडेंट रिपोर्ट’ (SIR) और मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठाए, संविधान की रक्षा के लिए लड़ाई का ऐलान किया।
AITC women MPs – Mahua Moitra, Sushmita Dev, Mitali Bag – trying to jump over the barricades placed by Delhi Police. pic.twitter.com/mLj8oCZljg
— Abir Ghoshal (@abirghoshal) August 11, 2025
विपक्ष का संघर्ष और पुलिस रोकथाम
विपक्ष के सांसद चुनाव आयोग तक शांतिपूर्ण पैदल मार्च पर निकले थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा और कानून व्यवस्था के नाम पर उन्हें रोक दिया। पुलिस ने बताया कि चुनाव आयोग ने सिर्फ 30 लोगों को आने की इजाजत दी थी, जबकि 200 से अधिक नेता मार्च में शामिल हुए थे। कुछ सांसदों ने बैरिकेड को पार कर आगे बढ़ने की कोशिश भी की। कांग्रेस के के.सी. वेणुगोपाल ने सरकार पर लोकतंत्र की हिफाजत न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि संसद सदस्य चुनाव आयोग तक पहुंचने की पूरी स्वतंत्रता नहीं पा रहे हैं।
Mahua Moitra😥🥺 pic.twitter.com/W5b8OGzRvt
— Parinda🕊 (@Parthian_1) August 11, 2025
चुनाव आयोग पर विपक्ष का आरोप
विपक्ष ने चुनाव आयोग पर जवाब देने से बचने का आरोप लगाया है। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आयोग घबराया हुआ है और सवालों का जवाब नहीं दे पा रहा। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अगर सरकार चुनाव आयोग तक विपक्ष को पहुंचने नहीं देती तो यह लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।
अधिकारों और लोकतंत्र की लड़ाई
राहुल गांधी ने इस लड़ाई को राजनीतिक नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा का संघर्ष बताया। उन्होंने कहा कि यह ‘एक व्यक्ति-एक वोट’ की लड़ाई है और साफ-सुथरी मतदाता सूची देश के लिए आवश्यक है। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने भी सवाल उठाए कि इतने कम समय में मतदाता सूची में कैसे इतने नाम जुड़ गए। विपक्ष का हल्ला बोल इस बात का संकेत है कि आगामी चुनाव में मतदाता सूची की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े रहेंगे।