Dearness allowance केंद्र सरकार ने शुक्रवार को केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते (Dearness Allowance -DA) में 2% की वृद्धि की घोषणा की है। इससे अब महंगाई भत्ता 53% से बढ़कर 55% हो जाएगा। यह बढ़ोतरी 1 जनवरी 2025 से प्रभावी होगी, जिससे लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा।
महंगाई भत्ता क्या है?
महंगाई भत्ता एक प्रकार का भत्ता है जो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उनकी मूल तनख्वाह या पेंशन के साथ दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करना और जीवन यापन की बढ़ती लागत से राहत प्रदान करना है। यह भत्ता उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index – CPI) के आधार पर निर्धारित किया जाता है, जो समय-समय पर बदलता रहता है।
वेतन आयोग की सिफारिशें
वर्तमान में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार महंगाई भत्ते में संशोधन किया जाता है। पहले, छठे वेतन आयोग ने सिफारिश की थी कि जब भी महंगाई भत्ता 50% तक पहुंच जाए, तो उसे मूल वेतन में समाहित कर दिया जाए। हालांकि, सातवें वेतन आयोग ने इस प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए हैं, जिससे कर्मचारियों को समय समय पर महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का लाभ मिलता रहता है।
पेंशनभोगियों के लिए लाभ
पेंशनभोगियों को भी महंगाई राहत (Dearness Relief -DR) के रूप में यह बढ़ोतरी मिलेगी। यह वृद्धि उनकी मूल पेंशन पर लागू होगी और इससे उन्हें मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाव में मदद मिलेगी। सरकार समय-समय पर महंगाई राहत में संशोधन करती है ताकि पेंशनभोगियों को बढ़ती महंगाई से राहत मिल सके।
इतिहास में महंगाई भत्ते का विकास
महंगाई भत्ते की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई थी, जब इसे “डियर फूड अलाउंस” के नाम से जाना जाता था। इसके बाद, विभिन्न वेतन आयोगों ने महंगाई भत्ते की संरचना और वितरण में बदलाव किए। तीसरे वेतन आयोग ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 8 अंकों की वृद्धि होने पर महंगाई भत्ता देने की सिफारिश की थी। चौथे वेतन आयोग ने इसे मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में देने की सिफारिश की और इसे साल में दो बार संशोधित करने का प्रस्ताव रखा। पांचवें वेतन आयोग ने सभी स्तरों पर 100% तटस्थता प्रदान करने की सिफारिश की, जिससे वरिष्ठ अधिकारियों को भी समान लाभ मिल सके।
महंगाई भत्ते में 2% की इस बढ़ोतरी से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बढ़ती महंगाई के बीच आर्थिक राहत मिलेगी। सरकार का यह कदम उनके जीवन स्तर को बनाए रखने में सहायक होगा और उनकी क्रय शक्ति को बढ़ाएगा।