रायपुर ऑनलाइन डेस्क। भगवान शिव की महिला अपरंपार है। कहा जाता है कि बाबा भोले शंकर जिस पर प्रसन्न हो जाएं, उसका जीवन धन्य हो जाता है। देश में महादेव के सैकड़ों ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं, जहां भक्तों का तांता लगा रहता है। ऐसे ही दो शिवालय महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि और मिनी काशी के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ के बक्सर में हैं, जिनका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। यहां श्री रामेश्वरनाथ मंदिर का मंदिर है, जिसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से की थी। कुछ दूर पर स्थित ब्रह्मपुर नगरी है, यहां बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव विराजमान है। ब्रह्मेश्वर नाथ की स्थापना सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने की थी।
बस्तर का रामेश्वरनाथ मंदिर
बस्तर जिले को मिनी कॉशी के नाम से जाना जाता है। यहां भगवान रामेश्वर नाथ महादेव का प्राचीन मंदिर है। रामेश्वर नाथ महादेव के दर्शन और पूजन के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी भक्त आते हैं। अति प्राचीनतम इस मंदिर की व्याख्या धार्मिक ग्रंथों में भी पढ़ने और सुनने को मिलता है। गंगा के तट पर रामरेखा घाट किनारे स्थित श्री रामेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास लगभग 13 लाख वर्ष पूर्व का है। इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। कहा जाता है कि वनवास के दौरान भगवान राम बस्तर में कईदिनों तक रूके थे। भगवान श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए रामेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना की।
ब्रह्महत्या जैसा पाप भी मिट जाता
जानकारों की मानें, तो जब ऋषि महर्षियों की तपस्या में राक्षस खलल डालने लगे, तब भगवान श्री राम ने दानवों के गमन पर रोक लगाने के लिए एक रेखा खींची। ताकि, चारों दिशाओं सहित आकाश और पाताल के रास्ते भी यहां राक्षसों का प्रवेश नहीं हो सके। उसी रेखा के कारण इस जगह का नाम रामरेखा घाट पड़ा। रामेश्वरनाथ मंदिर भक्तों के लिए एक बड़ा आस्था का केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से पवित्र गंगा में स्नान करने के बाद जो भक्त रामेश्वरनाथ यानी शंकर भगवान दर्शन करता है, उस पर लगा ब्रह्महत्या जैसा पाप भी मिट जाता है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि जो भी भक्त महादेव के दर पर आता है और सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
बाबा बरमेश्वरनाथ मंदिर
बक्सर से लगभग 40 किलोमीटर की दूर स्थित बाबा बरमेश्वरनाथ मंदिर अपनी भव्यता व प्राचीनता के लिए पूरे देश में विख्यात है। यहां स्वयंभू शिवलिंग की स्थापना 14वीं सदी में स्वयं ब्रह्मा जी ने अपने हाथों से किया था। किवंदतीयों के आधार पर स्थानीय लोग कहते हैं कि एकबार मुसलिम शासक नादिर शाह ने इस मंदिर को तोड़ने के लिए अपनी फौज के साथ धावा बोला था। मंदिर के पुजारियों के अनुनय-विनय के पश्चात नादिर शाह ने इस शर्त पर उनकी बात मानी थी कि, अगर तुम्हारे भगवान में सत्यता है तो उनसे कहों कि मंदिर का दरवाजा रात भर में पूरब से पश्चिम हो जाए। रातोंरात सच में ऐसा चमत्कार हो गया है। अगली सुबह मंदिर का दरवाजा पूरब से पश्चिम की ओर हो गया। ऐसी मान्यता है कि विश्व में एकमात्र शिवमंदिर है, जो पश्चिमाभिमुख है।
शिव तालाब का पुराणों में जिक्र
मंदिर के पूरब भाग में एक बहुत बड़ा तालाब अवस्थित है, जिसे शिवसागर तालाब के नाम से जाना जाता है। इस तालाब का वर्णन स्कंद पुराण व शिव महात्मय आदि ग्रंथों में भी मिलता है, जो इसके प्राचीनता का परिचायक है। ऐसी मान्यता है कि शिव सागर तालाब में स्नान कर इसका जल शिवलिंग पर चढ़ाने से कुष्ठरोग सहित कई प्रकार के चर्म रोगों से छुटकारा मिलता है। भक्त भगवान महादेव के दर पर आकर माथा टेकते हें और शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि भगवान महादेव अपने भक्तों का कष्ट दूर करते हैं। शिवरात्रि और सावन के महिने में लाखों की संख्या में भक्त बस्तर पहुंचते हैं।