Repo Rate Cut Brings Relief,रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अप्रैल 2025 की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में आम लोगों को बड़ी राहत दी है। 7 से 9 अप्रैल तक चली इस मीटिंग में रेपो रेट को 6.25% से घटाकर 6.00% कर दिया गया है। इस फैसले से अब होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरें घट सकती हैं, जिससे आम जनता को सीधा फायदा मिलेगा।
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि मौद्रिक नीति का रुख ‘अकोमोडेटिव’ रखा गया है, जबकि फरवरी में यह ‘न्यूट्रल’ था। उन्होंने यह भी साफ किया कि इस रुख में बदलाव को लिक्विडिटी यानी नकदी की स्थिति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।
दो महीनों में 50 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती
MPC की अध्यक्षता संजय मल्होत्रा कर रहे हैं। फरवरी 2025 में भी 5 साल बाद पहली बार ब्याज दरों में कटौती हुई थी, जिसमें 25 बेसिस प्वाइंट्स घटाए गए थे। अब अप्रैल की मीटिंग में फिर से 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की गई है। इस तरह साल 2025 में अब तक कुल 50 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती हो चुकी है।
अप्रैल 2025 की RBI दरें
रेपो रेट: 6.00%
SDF रेट: 5.75%
MSF रेट: 6.25%
पॉलिसी स्टांस: अकोमोडेटिव
RBI क्यों घटाता है रेपो रेट?
रेपो रेट वो ब्याज दर होती है जिस पर बैंक, RBI से पैसा उधार लेते हैं। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंकों को सस्ते में कर्ज मिलता है। इसका असर ग्राहकों पर पड़ता है क्योंकि बैंक भी उन्हें कम ब्याज पर लोन देना शुरू कर देते हैं।
इससे बाजार में पैसे का फ्लो बढ़ता है, मांग में इजाफा होता है और अर्थव्यवस्था में रफ्तार आती है। ठीक इसके उलट, जब महंगाई बढ़ती है तो RBI रेपो रेट बढ़ा देता है ताकि बाजार में पैसा कम पहुंचे और महंगाई पर काबू पाया जा सके।
रिवर्स रेपो रेट का क्या असर होता है?
रेपो रेट के साथ-साथ रिवर्स रेपो रेट भी अहम होता है। यह वह दर है जिस पर बैंक अपना पैसा RBI के पास जमा करते हैं और उस पर ब्याज पाते हैं। जब RBI इस रेट को बढ़ाता है, तो बैंक अपना पैसा बाजार में देने के बजाय RBI के पास जमा करना ज्यादा फायदेमंद समझते हैं। इससे बाजार में नकदी कम हो जाती है और महंगाई को कंट्रोल किया जा सकता है।
ग्राहकों को क्या फायदा
EMI में हो सकती है राहत
नए लोन होंगे सस्ते
बाजार में बढ़ेगी खरीदारी
इकोनॉमी को मिलेगी रफ्तार