नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। जगदीश धनकड़ के उपराष्ट्रपति से रिजाइन करने के बाद देश का सियासी मीटर ऊफान पर है। बीजेपी के अंदर जहां उपराष्ट्रपति के नाम को लेकर मंथन जारी है तो वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर भी चर्चा चल रही है। ऐसे दावा किया जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के विदेश से लौटते ही दोनों नामों पर मुहर लग सकती है। जानकार बताते हैं कि देश की सबसे बड़ी पार्टी के नए अध्यक्ष की रेस में कई नाम हैं। हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के अलावा कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर चर्चा हो रही है। जानकार बताते हैं कि यूपी और बिहार के चुनाव को देखते हुए बीजेपी अटल जी के शिष्य शिवराज सिंह चौहान को पार्टी की बागडोर सौंप सकती है।
नया बीजेपी अध्यक्ष वही बनेगा, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे भरोसेमंद होगा। संगठन चलाने के साथ चुनाव लड़ने-लड़ाने में माहिर होगा। जो बड़ा ओबीसी चेहरा होगा। साथ ही, उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आशीर्वाद भी प्राप्त हो। इस कसौटी पर पर शिवराज सिंह चौहान खरे उतर सकते हैं। ऐसी चर्चा है कि अटल जी का ये शिष्य दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का बॉस बन सकता है। शिवराज सिंह चौहान को धरतीपुत्र भी कहा जाता है। युवक और युवतियां उन्हें मामा कहते हैं तो बहनें शिवराज को भैया पुकारती हैं। शिवराज सिंह अटल जी के करीबी नेताओं में हुआ करते थे। अटल जी की सरकार में वह मंत्री रहे। एक वक्त ऐसा भी मौका आया, जब बीजेपी का पीएम कैंडीडेट भी कहा जाने लगा। लेकिन 2014 के चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी को बीजेपी ने पीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया। जनता ने बीजेपी की सरकार दिल्ली में बनवा दी। शिवराज सिंह चौहान एमपी में डटे रहे।
2024 में शिवराज सिंह चौहान केंद्र में मंत्री बनने के बाद भी मध्यप्रदेश में काफी एक्टिव रहते हैं। इससे राजनीतिक हलकों में यह चर्चा होती रही है कि उनका राज्य की राजनीति से मोह टूटा नहीं है। मगर एक पॉडकास्ट में शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की राजनीति को खुले तौर पर पहली बार अलविदा कहा। उन्होंने कहा कि मैंने मध्यप्रदेश में जीभर कर काम किया है। मुझे संतोष है कि मध्यप्रदेश के लिए मैं बेहतर कर पाया। मां-बहन बेटी और बच्चों की भलाई का काम किया और वहां की जनता से जीभर के प्यार मिला है। मध्यप्रदेश में काम करने का मेरा समय समाप्त हो गया। अब जो पार्टी और प्रधानमंत्री ने काम दिया है, अब दिन-रात मुझे उस काम के अलावा कोई अन्य चीज दिखाई नहीं दे रहा है। यदि देश में आप सक्रिय हैं तो उसमें मध्यप्रदेश भी आता है।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के सवाल पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं संघ का स्वयंसेवक हूं। संघ ऐसा संगठन है, जो सिखाता है कि ईमानदार बनो, चरित्रवान बनो और कर्मठ बनो, अपने लिए नहीं देश के लिए सोचो। अपने बारे में खुद विचार मत करो। आप बड़े मिशन का हिस्सा हैं तो आप अपने बारे कैसे सोच सकते हैं। मैं मानता हूं कि जो काम पार्टी ने मुझे दिया है, उसे प्रमाणिकता से करता हूं। मैं कृषि और ग्रामीण विकास के काम से आनंदित हूं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की चर्चा मीडिया में है मगर वह अपने काम से खुश हैं। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पार्टी जो भी काम देगी, उसे पूरी इमानदारी के साथ निभाऊंगा। फिलहाल पीएम नरेंद्र मोदी ने अन्नदाताओं के उत्थान का कार्य सौंपा है, जिस पर मैं दिनरात काम कर रहा हूं। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मेरे लिए पद मायने नहीं रखता। जो भी दायित्व मिलता है, उसे सौ फीसदी पूरा करने पर विश्वास रखता हूं।
शिवराज सिंह चौहान के साथ संगठन और प्रशासन का लंबा अनुभव है। वह इमरजेंसी के दौरान से आंदोलन करते रहे हैं। भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर भी उन्होंने संगठन में काम किया है। चुनावी राजनीति में माहिर माने जाने वाले शिवराज मध्यप्रदेश में लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे। जब वह पहली बार सीएम बने थे, तब मध्यप्रदेश में उमा भारती और बाबूलाल गौर जैसे अनुभवी नेता सक्रिय थे। इसके बाद भी उन्होंने न सिर्फ अपने शासन को स्थिर रखा बल्कि 2008 में अपनी छवि के दम पर बीजेपी की दूसरी बार सरकार बनवाई। कुशाभाऊ ठाकरे जैसे नेताओं के वह करीबी रहे। संघ के आशीर्वाद के कारण ही उनकी गद्दी 15 साल तक नहीं हिली। शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र की राजनीति की एंट्री के लिए हामी भरकर पीएम मोदी का भरोसा भी हासिल कर लिया है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के तीन अन्य दावेदार भूपेंद्र यादव, मनोहर लाल खट्टर और धर्मेंद्र प्रधान भी संगठन कौशल में माहिर हैं। सभी पार्टी के ओबीसी चेहरा बन सकते हैं। आरएसएस उन्हें भी नापसंद नहीं करता है। खट्टर तो आरएसएस के प्रचारक ही रहे हैं, मगर धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव को सिर्फ चुनाव लड़ाने का अनुभव है। शिवराज सिंह चौहान एवं मनोहर लाल खट्टर चुनाव लड़कर विधानसभा और लोकसभा में पहुंचे हैं। शिवराज सिंह चौहान की छवि सौम्य है और लोकप्रियता के मामले में खट्टर से आगे हैं। यह खासियत शिवराज के लिए प्लस और माइनस पॉइंट दोनों हैं। केंद्रीय नेतृत्व कभी नहीं चाहेगा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की तुलना किसी भी स्तर पर नरेंद्र मोदी से की जाए।