SC on Bulldozer Action: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, फैसले की 5 बड़ी बातें
Supreme Court on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति का घर केवल अपराध के आरोप पर नहीं तोड़ा जा सकता। अदालत ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि वे कानूनी प्रक्रिया का पालन करें और मनमानी कार्रवाई से बचें, अन्यथा अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
Supreme Court ban bulldozer action: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। कोर्ट की दो टूक कहा है कि किसी का घर सिर्फ इस आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में आरोपी है। जस्टिस बी.आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने आदेश दिया कि ऐसे मामलों में राज्य सरकारों और अधिकारियों को पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा और किसी भी मनमानी कार्रवाई से बचना होगा।
कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी नागरिक की संपत्ति को बिना कानूनी प्रक्रिया के नष्ट नहीं कर सकतीं। अदालत ने यह भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप है, तो सिर्फ उस आधार पर उसकी संपत्ति को तोड़ा जाना असंवैधानिक होगा। अदालत ने इस फैसले में यह सुनिश्चित किया कि किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन नहीं हो, और राज्य शक्ति का दुरुपयोग न हो।
सुप्रीम कोर्ट की दो टूक
जस्टिस बी.आर गवई की बेंच ने दो टूक कहा कि कई मामलों में राज्य सरकारों ने कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर एक्शन लिया है। ऐसा करना पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है और यह शक्तियों के सेपरेशन का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण सबसे महत्वपूर्ण है, और अगर राज्य ने इस तरह की कार्रवाई की तो उन अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कानून का पालन जरूरी
Supreme Court ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति किसी अपराध का आरोपी है तो उसका घर तोड़ने से पहले उसे कानूनी प्रक्रिया का पालन करने का समय दिया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि घर केवल एक व्यक्ति का नहीं होता, बल्कि पूरे परिवार का होता है, और इसका उल्लंघन करना गलत होगा। अदालत के फैसले के बाद, राज्य सरकारों को अब अपने तरीकों में बदलाव लाने होंगे, ताकि किसी भी नागरिक को अवैध रूप से नुकसान न हो।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति की संपत्ति को बिना किसी उचित कानूनी प्रक्रिया के नष्ट किया जाता है, तो उसे मुआवजा दिया जाएगा। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि ऐसे मामलों में अधिकारी जवाबदेह होंगे और उन्हें सजा दी जाएगी। अदालत ने यह भी कहा कि यह आदेश पूरे देश के लिए लागू होगा और इससे राज्य सरकारों को अपनी कार्यवाही को सुसंगत और संवैधानिक रूप से लागू करने की आवश्यकता होगी।
न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच सीमाएं
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच स्पष्ट सीमाएं होनी चाहिए। किसी भी राज्य सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वह न्यायिक कार्यों में हस्तक्षेप करे। यह फैसला उन अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है जो शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं और नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।