Supreme Court Verdict on SIR: देश में चुनावी तैयारियाँ तेज होती दिख रही हैं और इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया, जिसने राजनीतिक दलों, सरकारी विभागों और चुनावी प्रक्रिया से जुड़े सभी पक्षों का ध्यान खींचा है। पिछले कुछ महीनों से कई राज्य और संगठन SIR यानी स्पेशल समरी रिवीजन प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि कर्मचारी कम हैं, काम का दबाव अधिक है और समय सीमा बहुत तंग है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी दलीलों पर बड़ा निर्णय दिया है।
वोटर लिस्ट अपडेट क्यों जरूरी?
बहुत से लोगों ने सवाल उठाया कि अगर देश में मतदाता सूची अपडेट ही न हो, तो क्या चुनाव करवाना सुरक्षित और उचित होगा? पुरानी, गलत या अधूरी सूची पर आधारित चुनाव लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकते हैं। इसी बात पर जोर देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वोटर लिस्ट में सुधार “साधारण प्रशासनिक काम” नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर संवैधानिक जिम्मेदारी है। इसलिए इस प्रक्रिया पर किसी भी प्रकार की रोक लगाना संभव नहीं है।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक कैसे पहुँचा?
कई राज्य सरकारों और कर्मचारी संगठनों ने अदालत में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि:
बीएलओ (BLO) कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक बोझ है
कई राज्यों में कर्मचारियों की मौत के मामले सामने आए
SIR की समय सीमा बेहद कम होने से दबाव बढ़ रहा है।
इन सब कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने मांग की कि यदि रोक न लगे, तो कम से कम प्रक्रिया को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट और सख्त रुख
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि यदि काम का दबाव बढ़ा है, तो राज्य सरकारों को अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने चाहिए। उनकी टिप्पणी थी:
“संवैधानिक प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती। काम अधिक होने का अर्थ यह नहीं कि प्रक्रिया ही बंद कर दी जाए।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि मतदाता सूची में सुधार बार-बार टाला नहीं जा सकता, क्योंकि यही लोकतंत्र की बुनियाद है।
राजनीतिक संकेत क्या हैं?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इशारों में कहा कि कुछ राजनीतिक दल इस प्रक्रिया को रोकने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल कर सकें। अदालत ने चेतावनी दी कि मतदाता सूची जैसी संवैधानिक प्रक्रिया को राजनीति का रंग नहीं दिया जा सकता।
इस बयान को राजनीतिक हलकों में एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
आगे क्या होगा?
अब SIR प्रक्रिया तय समय पर जारी रहेगी और राज्यों को अपने स्तर पर अतिरिक्त कर्मचारियों की व्यवस्था करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि मतदाता सूची में संशोधन किसी भी हालात में बाधित नहीं किया जाएगा।









