Supreme Court on electoral freebies: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनावों से पहले राजनीतिक दलों द्वारा घोषित फ्रीबीज़ को लेकर गंभीर सवाल उठाए। मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसी घोषणाएं समाज में आलस्य और निर्भरता की भावना को बढ़ा सकती हैं, जो काम करने की संस्कृति को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यह टिप्पणी तब आई जब चुनावी वादों में मुफ्त बिजली, पानी, राशन, और नकद सहायता जैसी घोषणाएं प्रचलित हो गई हैं। कोर्ट ने इन योजनाओं के लोकलुभावन प्रभाव पर भी चिंता जताई और इसे समाज की आत्मनिर्भरता के लिए खतरा बताया।
फ्रीबीज़ या कल्याणकारी योजनाएं?
Supreme Court ने स्पष्ट किया कि कल्याणकारी योजनाएं गरीबों के उत्थान के लिए आवश्यक हैं, लेकिन चुनावी फ्रीबीज़ को लोकलुभावनवाद और असमानता को बढ़ावा देने वाली मानी जा सकती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकारी सहायता पर अत्यधिक निर्भरता समाज के आत्मनिर्भरता और मेहनत की भावना को कमजोर कर सकती है। न्यायमूर्ति रमना ने कहा, “जो हाथ देता है, वही हाथ लेता भी है,” और ऐसे समाज की ओर इशारा किया जहां लोग मुफ्त योजनाओं पर निर्भर हो सकते हैं, जो श्रम की संस्कृति को नष्ट कर सकती हैं।
समर्थन और आलोचना
जहां एक ओर कई राजनीतिक दल और सामाजिक कार्यकर्ता फ्रीबीज़ का समर्थन करते हैं, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यह समाज में काम करने की इच्छा को प्रभावित कर सकता है। आम आदमी पार्टी और तमिलनाडु की डीएमके जैसी पार्टियाँ फ्रीबीज़ के पक्ष में हैं, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी भी विभिन्न योजनाओं का हिस्सा हैं। इस समर्थन का मुख्य तर्क यह है कि फ्रीबीज़ से समाज में समानता आती है और गरीबों की मदद होती है।
कानूनी और चुनावी असर
Supreme Court की टिप्पणी के बाद, चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों से राय मांगी गई है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह टिप्पणी चुनावी घोषणाओं के लिए नए दिशा-निर्देशों की संभावना को जन्म दे सकती है। भविष्य में राजनीतिक पार्टियों को विकास पर आधारित घोषणाओं पर अधिक ध्यान देने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। यह सख्त टिप्पणी चुनावी रणनीतियों, नीति-निर्माण और समाज की कार्य संस्कृति पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती है।
राज्य सरकारों की फ्रीबी योजनाएं
कई भारतीय राज्य सरकारें विभिन्न प्रकार की फ्रीबी या कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं। यहां कुछ प्रमुख उदाहरण दिए जा रहे हैं:
- दिल्ली (AAP): मुफ्त बिजली (200 यूनिट तक), मुफ्त पानी (20,000 लीटर तक), महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा
- तमिलनाडु (DMK): मुफ्त बिजली (100 यूनिट तक), मुफ्त राशन, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा
- पंजाब (AAP): 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा
- कर्नाटक (Congress): महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, किसानों के लिए मुफ्त बिजली
- मध्य प्रदेश (BJP): लाडली बहना योजना (महिलाओं को मासिक वित्तीय सहायता), किसानों के लिए मुफ्त बिजली
- राजस्थान (Congress): महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, किसानों के लिए मुफ्त बिजली
- तेलंगाना (Congress): किसानों के लिए मुफ्त बिजली, महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता
- हिमाचल प्रदेश (Congress): पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली, मुफ्त बिजली (125 यूनिट तक)
- महाराष्ट्र (BJP-Shiv Sena): लाडकी बहीन योजना (महिलाओं के लिए मासिक वित्तीय सहायता)
ये योजनाएं राज्यों के अपने बजट और राजनीतिक वचनों पर आधारित हैं, जो चुनावी वादों से प्रेरित होती हैं। ध्यान दें कि ये योजनाएं समय के साथ बदल सकती हैं या नई योजनाएं जोड़ी जा सकती हैं, क्योंकि राजनीतिक परिदृश्य और राज्यों की आर्थिक स्थिति में बदलाव होते रहते हैं।