Supreme Court : पराली जलाने के मामलों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र ने अब पराली जलाने पर जुर्माने की राशि को दोगुना कर दिया है, जिससे अब किसानों को 30 हजार रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। इस फैसले का उद्देश्य बढ़ते वायु प्रदूषण को कंट्रोल करना है, जो हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीनों में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में फैल जाता है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद आया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर सख्त रुख दिखाते हुए केंद्र सरकार से प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए तत्काल और कठोर कार्रवाई की मांग की थी। इस निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने पेनाल्टी की राशि को बढ़ाने का फैसला लिया। माना जा रहा है कि बढ़े हुए जुर्माने से पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी और किसानों में इसको लेकर जागरूकता बढ़ेगी।
जुर्माना राशि में बढ़ोतरी
केंद्र सरकार के नए निर्देशों के अनुसार, छोटे किसानों पर 10 हजार रुपये, मध्यम किसानों पर 20 हजार रुपये और बड़े किसानों पर 30 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना राशि राज्य सरकारों के साथ मिलकर लागू की जाएगी, ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके। सरकार का मानना है कि आर्थिक दंड से पराली जलाने की समस्या पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकेगा।
जुर्माना बढ़ाने के साथ ही, सरकार ने पराली प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों को भी बढ़ावा दिया है। पराली के निपटारे के लिए कई तकनीकी उपाय और मशीनें उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिनमें मल्चिंग, बायो-डीकंपोजर आदि शामिल हैं। इसके अलावा, सरकार किसानों को आर्थिक सहायता देने पर भी विचार कर रही है, ताकि वे पराली को जलाने की बजाय अन्य विकल्पों को अपनाएं।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से राहत की उम्मीद
हर साल पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो जाती है, जिससे लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह कदम प्रभावी साबित होता है तो इससे वायु गुणवत्ता में सुधार आएगा और प्रदूषण का स्तर नियंत्रित किया जा सकेगा।
किसानों में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास
सरकार ने इस पेनाल्टी के साथ-साथ जागरूकता बढ़ाने का भी लक्ष्य रखा है। विभिन्न जागरूकता अभियानों के जरिए किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में बताया जा रहा है। स्थानीय पंचायतों, कृषि संगठनों और स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से किसानों को वैकल्पिक तरीकों की जानकारी दी जा रही है, ताकि वे पराली जलाने से बचें। सरकार के इस कदम से पराली जलाने की घटनाओं में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है। यदि यह प्रयास सफल होता है तो दिल्ली-एनसीआर सहित कई राज्यों में वायु प्रदूषण पर काबू पाने में मदद मिलेगी, जिससे जनता को राहत मिलेगी।