अनुभव या परीक्षा? Supreme Court के आदेश से नाराज शिक्षक, देशभर में प्रदर्शन की चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट के टीईटी अनिवार्यता वाले फैसले ने देशभर के शिक्षकों में आक्रोश भड़का दिया है। पुराने शिक्षक इसे अन्याय बता रहे हैं और चेतावनी दे रहे हैं कि अगर आदेश वापस नहीं लिया गया, तो देशव्यापी आंदोलन होगा।

Supreme Court Tet

Supreme Court TET decision: सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले ने देशभर के शिक्षकों में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। अदालत ने सोमवार को ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) को अनिवार्य कर दिया है। कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले नए शिक्षकों के लिए TET पास करना जरूरी होगा, लेकिन इससे भी बड़ी चुनौती पुराने शिक्षकों के सामने आ खड़ी हुई है। जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल से अधिक समय शेष है, उन्हें 2 साल के भीतर TET पास करना होगा, अन्यथा नौकरी छोड़नी होगी। हजारों शिक्षकों का कहना है कि यह फैसला उनके वर्षों की मेहनत, अनुभव और समर्पण के साथ अन्याय है। देशभर में कई शिक्षक संगठनों ने इस फैसले का कड़ा विरोध शुरू कर दिया है।

पुराने शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती

Supreme Court का यह फैसला देशभर में लाखों शिक्षकों के लिए नई मुसीबत बनकर आया है।

यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में शिक्षक संगठनों ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया है।

शिक्षक संगठनों का विरोध और आंदोलन की तैयारी

अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ, UP शिक्षक महासंघ और ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन जैसे संगठन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक बता रहे हैं।

यूपी में लखनऊ, बिहार में पटना, महाराष्ट्र में मुंबई, और तमिलनाडु में चेन्नई में 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन से बड़े आंदोलन की तैयारी हो रही है।

ग्रामीण शिक्षकों की सबसे बड़ी समस्या

इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित वे शिक्षक हैं जो ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में कार्यरत हैं।

क्यों हो रहा है विरोध: शिक्षकों की दलीलें

  1. अनुभव की अनदेखी
    • कई शिक्षक 20-25 साल से पढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी सेवा का रिकॉर्ड ही उनकी योग्यता का प्रमाण है।
  2. उम्र और मानसिक दबाव
    • 45-55 वर्ष के बीच के शिक्षकों के लिए नई परीक्षा पास करना बेहद कठिन होगा, जिससे मानसिक तनाव बढ़ेगा।
  3. नौकरी का संकट
    • जो शिक्षक 2 साल में TET पास नहीं कर पाएंगे, उन्हें मजबूरन नौकरी छोड़नी होगी।
  4. ग्रामीण शिक्षा पर असर
    • ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों स्कूलों में योग्य और अनुभवी शिक्षकों की कमी हो जाएगी।

सरकार और सुप्रीम कोर्ट से शिक्षकों की मांग

शिक्षक संगठनों ने सरकार और सुप्रीम कोर्ट से तीन मुख्य मांगें रखी हैं:

अगर इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो देशभर में शिक्षक संघ आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहे हैं।

शिक्षा क्षेत्र में असंतोष की लहर

Supreme Court का यह फैसला भले ही शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया हो, लेकिन शिक्षकों के बीच असंतोष गहराता जा रहा है

शिक्षक संगठनों ने साफ चेतावनी दी है कि 5 सितंबर, शिक्षक दिवस से विरोध प्रदर्शन तेज़ होंगे। यह विवाद आने वाले समय में शिक्षा व्यवस्था को गहराई तक प्रभावित कर सकता है।

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