Prashant Kumar : उत्तर प्रदेश पुलिस के वर्तमान कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार 31 मई 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनके बाद प्रदेश की कानून-व्यवस्था की बागडोर किसे सौंपी जाएगी? यह मुद्दा न केवल पुलिस मुख्यालय बल्कि लखनऊ के सिग्नेचर बिल्डिंग, लोकभवन, मुख्यमंत्री निवास से लेकर विपक्षी दलों के कार्यालयों और दिल्ली के गलियारों तक चर्चा का केंद्र बना हुआ है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या योगी सरकार किसी नए चेहरे को डीजीपी की जिम्मेदारी देगी या फिर प्रशांत कुमार का कार्यकाल बढ़ाकर उन्हें ही यह दायित्व सौंपा जाएगा?
प्रशांत कुमार का हो सकता है सेवा विस्तार
सूत्रों के हवाले से खबर है कि प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलने की संभावना प्रबल है। इसका प्रमुख कारण उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विश्वासपात्र और पसंदीदा अधिकारियों में शुमार होना माना जा रहा है। उनकी कार्यशैली और कठोर प्रशासनिक निर्णयों ने उन्हें सीएम की प्राथमिकता में बनाए रखा है, जिसके चलते उन्हें कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। हालांकि, इस विषय पर न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी हुआ है। फिर भी, प्रशासनिक और पुलिस हलकों में यह चर्चा गर्म है कि यदि प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिला, तो उत्तर प्रदेश को नए डीजीपी की तलाश करनी होगी।
नए DGP की रेस में कई अधिकारयों के नाम
नए डीजीपी की रेस में कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम उभरकर सामने आ रहे हैं। इनमें राजीव कृष्ण, बीके मौर्य और तिलोत्तमा वर्मा जैसे नाम प्रमुख हैं। खास बात यह है कि तिलोत्तमा वर्मा के चयन की स्थिति में वह उत्तर प्रदेश की पहली महिला डीजीपी बन सकती हैं, जो एक ऐतिहासिक कदम होगा। राजीव कृष्ण की नकलविहीन पुलिस भर्ती परीक्षा कराने की उपलब्धि और बीके मौर्य का अनुभव भी उन्हें इस दौड़ में मजबूत दावेदार बनाता है।
यह भी पढ़ें : कश्मीर से गुजरात तक.. पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों में गुरुवार को होगी मॉक ड्रिल…
अब सभी की निगाहें 31 मई पर टिकी हैं, जब यह साफ होगा कि क्या उत्तर प्रदेश को नया पुलिस प्रमुख मिलेगा या प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार देकर दोबारा कमान सौंपी जाएगी। इस निर्णय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पसंद और राजनीतिक समीकरण निर्णायक भूमिका निभाएंगे।