जेपी नड्डा से मंथन के बाद PM नरेंद्र मोदी ने लगाई मुहर, अब नेता होगा NDA के उपराष्ट्रपति पद का कैंडीडेट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ;को सौंपी गई उपराष्ट्रपति चुनाव की कमान, रेस में बताए जा रहे कई नाम, संतोष गंगवार भी दौड़ में बताए जा रहे।

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर तारीख का ऐलान कर दिया है। ऐसे में एनडीए और इंडी गठबंधन में उपराष्ट्रपति के नाम को लेकर मंथन जारी है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी ने उपराष्ट्रपति का नाम लगभग-लगभग फाइनल कर लिया है। जल्द ही बीजेपी की तरफ से इसका ऐलान हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि अगला उपराष्ट्रपति यूपी से हो सकता है। रेस में झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। गंगवार अटल जी की सरकार में मंत्री रहे हैं। मोदी सरकार में भी उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने गंगवार को टिकट नहीं दिया था।

दरअसल, जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक देश के 14वें उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद चुनाव आयोग की तरफ से उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीफ का ऐलान कर दिया। उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 9 सितंबर को वोटिंग होगी और उसी दिन मतगणना भी होगी। उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। 25 अगस्त तक उम्मीदवारी वापस ली जा सकती है। पीएम मोदी नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार के नाम का जिम्मेदारी दी गई है।

इस पर मुहर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लगाई। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष जिस भी उम्मीदवार का चुनाव करेंगे, उसे एनडीए के सभी सहयोगी दलों का समर्थन मिलेगा। ऐसे में एनडीए के भावी कैंडीडेट के नामों को लेकर सोशल मीडिया पर एक तरह के दावे किए जा रहे हैं। रेस में चार नेताओं के नाम बताए जा रहे हैं। इस रेस में पहला नाम संतोष गंगवार का बताया जा रहा है। संतोष गंगवार झारखंड के राज्यपाल हैं। राज्यपाल बने संतोष गंगवार बरेली सीट पर पहली बार 1980 में चुनाव लड़े थे, हालांकि ये चुनाव वे हार गए थे। संतोष गंगवार अटल जी के बहुत करीबी रहे हैं। गंगवार की छवि इमानदार और बेदाग नेताओं में रही है।

संतोष गंगवार भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और 2019 की मोदी सरकार वे मंत्री रहे हैं। संतोष गंगवार आठ बार सांसद का चुनाव जीते। बरेली संसदीय सीट से संतोष गंगवार को पहला चुनाव जिताने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने बरेली में आठ सभाएं की। एक चुनाव में अटल बिहारी की सभाओं का यह किसी भी प्रत्याशी के लिए सर्वाधिक रिकार्ड है। संतोष गंगवार कुर्मी समाज से आते हैं। यूपी और बिहार में कुर्मी समाज का अच्छा खासा दबदबा है। यूपी में कुर्मी समाज के करीब 7 फीसदी वोट हैं, जो जीत-हार में अहम रोल निभाते हैं।

इस रेस में दूसरा नाम थावरचंद गहलोत का भी है, जो सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। 77 वर्षीय गहलोत राज्यसभा में सदन के नेता रह चुके हैं साथ ही केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। बीजेपी में वे सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं। जातीय समीकरण (दलित) में भी वे फिट बैठते हैं। वह मध्य प्रदेश से हैं। उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है। जानकार बताते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने गहलोत के नाम पर भी मंथन किया। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी की नजर यूपी-बिहार विधानसभा चुनाव पर है। ऐसे में पार्टी जातिगत आंकड़े में फिट बैठने वाले नेता पर ही दांव लगा सकती है।

तीसरा नाम ओम माथुर का है। ओम माथुर अभी सिक्किम के राज्यपाल हैं। 73 वर्षीय माथुर पार्टी के कद्दावर नेता हैं और राजस्थान से आते हैं। वे गुजरात के चुनाव प्रभारी तब रहे हैं, जब पीएम मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे। वे मोदी के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी करीबी माने जाते हैं। माथुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक रह चुके हैं। चौथा नाम हरिवंश नारायण सिंह का है, जिनका जन्म 30 जून 1956 को यूपी के बलिया के सिताबदियारा गांव में हुआ। पेशे से पत्रकार रहे। 2014 में जदयू के टिकट पर बिहार से राज्यसभा सांसद चुने गए।

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