Waqf bill meeting results spark political debate वक्फ संशोधन बिल को लेकर संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की बैठक खत्म हो गई। इस बैठक में सत्ता पक्ष के 14 संशोधनों को मंजूरी दी गई, जबकि विपक्ष के 44 संशोधनों को खारिज कर दिया गया। जेपीसी की अगली बैठक 29 जनवरी को होगी, जहां इस रिपोर्ट को स्वीकार किया जाएगा।
विपक्ष के प्रस्ताव खारिज, सत्ता पक्ष को बढ़त
विपक्ष ने वक्फ बिल में 44 संशोधन पेश किए थे, लेकिन बहुमत न मिलने के कारण सभी खारिज हो गए। हर संशोधन पर वोटिंग हुई, जिसमें विपक्ष को 10 वोट मिले, जबकि 16 वोट खारिज करने के पक्ष में पड़े। वहीं, सत्ता पक्ष के 14 संशोधन पास कर दिए गए।
जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया कि 6 महीने की चर्चा और 34 बैठकों के बाद सभी संशोधनों पर विचार किया गया। अब रिपोर्ट तैयार हो चुकी है, जो 500 पन्नों की है। इसे बजट सत्र में पेश किया जाएगा।
बिल में क्या बड़े बदलाव हुए
संपत्ति का निर्धारण
अब वक्फ संपत्ति के निर्धारण का अधिकार जिला कलेक्टर के बजाय राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी को दिया गया है।
गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या
पहले राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में केवल 2 गैर मुस्लिम सदस्य होने का प्रावधान था। अब इसे बढ़ाकर 4 तक किया जा सकता है। नामित सदस्यों में से कम से कम 2 गैर मुस्लिम होना अनिवार्य होगा।
पंजीकरण का नियम
नया कानून सिर्फ उन्हीं वक्फ संपत्तियों पर लागू होगा, जो पंजीकृत हैं। जो संपत्तियां पंजीकृत नहीं हैं, उनका फैसला बिल में तय मानकों के अनुसार होगा।
दान देने का नियम
वक्फ संपत्ति दान करने वाले व्यक्ति को 5 साल तक मुस्लिम धर्म का पालन करना होगा और इसे साबित भी करना होगा।
समिति का काम और रिपोर्ट
समिति ने दिल्ली में 34 बैठकें कीं और देशभर के 24 से अधिक हितधारकों से चर्चा की। इसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल थे, जिनमें 13 विपक्षी दलों से थे।
विपक्ष की आपत्ति
विपक्ष ने इस प्रक्रिया को असंतुलित और भेदभावपूर्ण बताया। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का कहना है कि देश में 90% वक्फ संपत्तियां पंजीकृत नहीं हैं, जिससे इस कानून का व्यापक असर पड़ेगा।
वक्फ बिल को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार जारी है। अब समिति की रिपोर्ट बजट सत्र में पेश की जाएगी। इस बिल का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विवादों को सुलझाने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश देना है।