Territorial Army: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के अधिकारियों और जवानों को नियमित सेना की सहायता के लिए बुलाने का अधिकार दे दिया है। यह निर्णय रक्षा मंत्रालय के 6 मई 2025 की अधिसूचना के तहत लिया गया है जो 10 फरवरी 2025 से 9 फरवरी 2028 तक तीन वर्षों के लिए प्रभावी रहेगा।
पाकिस्तान की ओर से बार-बार ड्रोन और मिसाइल हमलों की नाकाम कोशिशों और सीमा पर भारी गोलाबारी के जवाब में भारत ने अपनी सैन्य तैयारियों को और मजबूत कर लिया है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत 6-7 मई को भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है।
टेरिटोरियल आर्मी और इंडियन आर्मी में क्या है अंतर?
भारत की सशस्त्र सेनाओं में इंडियन आर्मी और टेरिटोरियल आर्मी दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन इनके उद्देश्य, संरचना और कार्यप्रणाली में स्पष्ट अंतर हैं।
इंडियन आर्मी
- पूर्णकालिक सैन्य बल: इंडियन आर्मी भारत की स्थायी सेना है जो देश की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
- कठोर प्रशिक्षण: इसके जवान और अधिकारी कठिन और पेशेवर सैन्य प्रशिक्षण से गुजरते हैं जो उन्हें युद्ध, आतंकवाद विरोधी अभियानों और आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार करता है।
- कैरियर संरचना: यह एक सुसंगठित कैरियर प्रदान करती है जिसमें नियमित वेतन, प्रमोशन और विविध भूमिकाओं के अवसर शामिल हैं। सैनिकों को लंबी अवधि (10 वर्ष या अधिक) के लिए नियुक्त किया जाता है और वे देश-विदेश में तैनात हो सकते हैं।
- वैश्विक मिशन: आवश्यकता पड़ने पर इंडियन आर्मी के जवान अंतरराष्ट्रीय मिशनों जैसे संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों, में भी भाग लेते हैं।
टेरिटोरियल आर्मी
- अंशकालिक सैन्य बल: टेरिटोरियल आर्मी एक अर्ध-सैनिक बल है जिसमें नागरिक अपनी नियमित नौकरी या व्यवसाय के साथ-साथ देश सेवा में योगदान देते हैं। इसे “दूसरी रक्षा पंक्ति” भी कहा जाता है।
- सीमित प्रशिक्षण: इसके जवान साल में कुछ सप्ताह या महीनों के लिए प्रशिक्षण लेते हैं जो नियमित सेना की तुलना में कम गहन होता है।
- विशिष्ट सक्रियता: टेरिटोरियल आर्मी को विशेष परिस्थितियों जैसे युद्ध, आंतरिक सुरक्षा, या प्राकृतिक आपदा के दौरान सक्रिय किया जाता है। इसके जवान आंतरिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और पारिस्थितिक कार्यों में सहायता करते हैं।
- सीमित कैरियर विकास: इसमें प्रमोशन की संभावनाएं सीमित हैं और यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो नागरिक जीवन के साथ देश सेवा को संतुलित करना चाहते हैं।
टेरिटोरियल आर्मी में शामिल होने के लिए भारतीय नागरिक का होना, 18 से 42 वर्ष की आयु, किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक, शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना और किसी रोजगार में होना आवश्यक है।
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सरकार ने अपने आदेश में क्या कहा?
रक्षा मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) नियम 1948 के नियम 33 के तहत सभी अधिकारियों और जवानों को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने या नियमित सेना को सहायता देने के लिए बुलाने का अधिकार दिया गया है।
मौजूदा 32 इन्फैंट्री बटालियनों में से 14 बटालियनों को दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी, मध्य, उत्तरी, दक्षिण-पश्चिमी, अंडमान और निकोबार तथा सेना प्रशिक्षण कमान (ARTRAC) के क्षेत्रों में तैनाती के लिए चुना गया है। यह आदेश केवल तभी लागू होगा जब बजट में धनराशि उपलब्ध हो। यदि रक्षा मंत्रालय के अलावा अन्य मंत्रालयों के अनुरोध पर टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) की तैनाती होती है तो संबंधित मंत्रालय लागत वहन करेंगे।
टेरिटोरियल आर्मी का इतिहास और योगदान
9 अक्टूबर 1949 को भारत के प्रथम गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी द्वारा स्थापित टेरिटोरियल आर्मी ने 75 वर्षों में युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह नियमित सेना के साथ पूरी तरह एकीकृत है और इसे “टेरियर्स” के नाम से भी जाना जाता है जिसका आदर्श वाक्य है “सावधानी व शूरता”।
टेरिटोरियल आर्मी में लगभग 50,000 कर्मी और 65 इकाइयां हैं जिनमें रेलवे, ONGC, और इंडियन ऑयल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों की इकाइयां, साथ ही इन्फैंट्री बटालियन, पारिस्थितिक टास्क फोर्स और इंजीनियरिंग इकाइयां शामिल हैं। इसके कई सदस्यों को वीरता और विशिष्ट सेवा पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है जिनमें पूर्व क्रिकेट कप्तान एमएस धोनी जैसे नाम शामिल हैं।