National Mourn: क्या होता है राष्ट्रिय शोक और क्या क्या नहीं किया जाता है इन दिनों

राष्ट्रीय शोक उस समय को कहते हैं जब देश दुख और सम्मान प्रकट करता है। राष्ट्रीय ध्वज झुकाया जाता है, मनोरंजक गतिविधियों को रोका जाता है, और सरकारी कार्यक्रम स्थगित होते हैं। इसका मकसद दिवंगत आत्मा को सम्मान देना है।

National Mourning राष्ट्रीय शोक का मतलब है वह समय जब देश दुख और सम्मान प्रकट करता है। आमतौर पर, यह तब घोषित किया जाता है जब कोई बड़ा नेता, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, या अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति का निधन हो जाता है। कभी कभी किसी बड़ी त्रासदी के बाद भी यह घोषित किया जाता है।भारत में किसी पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर आमतौर पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है. इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहता है. कोई सरकारी समारोह या उत्सव आयोजित नहीं किए जाते. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर भी सात दिनों का राष्ट्रीय शोक सरकार द्वारा रात में घोषित किया गया. हालांकि, शोक अवधि का निर्णय भारत सरकार के दिशा-निर्देशों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन 26 दिसंबर को एम्स में 92 साल की उम्र में हो गया.

 

क्या नहीं किया जाता

मनोरंजन के कार्यक्रमों को बंद कर दिया जाता है। इस दौरान कोई भी फिल्म, संगीत के कार्यक्रम, या सार्वजनिक मनोरंजन की गतिविधियां नहीं होतीं। ये सब के सब कदम यह दिखाने के लिए उठाए जाते हैं कि देश गंभीर दुख में है।

राष्ट्रीय ध्वज झुकाया जाता है

राष्ट्रीय शोक के दौरान सभी सरकारी, अर्ध सरकारी और सार्वजनिक स्थानों पर तिरंगे को आधा झुका दिया जाता है। यह शोक और सम्मान का प्रतीक है।

सरकारी समारोह स्थगित होते हैं

इस दौरान सभी सरकारी उत्सव, उद्घाटन, छोटे या बड़े सरकारी समारोह नहीं होते। ये कार्यक्रम या तो रद्द कर दिए जाते हैं या किसी और दिन के लिए टाल दिए जाते हैं।

टीवी और रेडियो पर बदलाव

राष्ट्रीय शोक के दौरान मनोरंजन वाले टीवी शो और गाने नहीं चलते। उनकी जगह शोक संदेश, खबरें, या विशेष कार्यक्रम दिखाए जाते हैं।

धार्मिक और सामाजिक उत्सव

धार्मिक आयोजनों और सामाजिक कार्यक्रमों में भी बदलाव किए जाते हैं ताकि शोक का माहौल बनाए रखा जा सके। और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए कार्यक्रम किए जाते हैं।

राष्ट्रीय शोक क्यों जरूरी

राष्ट्रीय शोक का मुख्य उद्देश्य है देश की जनता को एकजुट करना और उनके साथ दुख साझा करना। यह हमे दिखाता है कि देश ने अपने किसी प्रिय नेता या महत्वपूर्ण व्यक्ति को खो दिया है।

इसके जरिए जनता में यह संदेश जाता है कि एक राष्ट्र के तौर पर हम उनके योगदान का सम्मान करते हैं। यह परंपरा न केवल संवेदनशीलता का प्रतीक है बल्कि एक जिम्मेदार समाज की पहचान भी है।
अभी हमारा कर्तव्य बनता है कि हम सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए अपनी संवेदनाएं व्यक्त करें और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उन्हें मोक्ष प्राप्त हो
यह समय संवेदना और एकजुटता का प्रतीक है।

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