European Leaders Meeting in Washington: यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए आज अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में कई यूरोपीय देशों के नेता जुटने वाले हैं। इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की भी शामिल होंगे। यह बैठक अलास्का में ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई मुलाकात के बाद हो रही है। उस दौरान पुतिन ने युद्ध खत्म करने के लिए अपनी कुछ शर्तें रखी थीं, जिन पर अब गहराई से चर्चा होगी।
यूरोपीय नेताओं की मौजूदगी
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने भी वॉशिंगटन पहुंचने की पुष्टि की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि वे राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के अनुरोध पर ट्रंप और अन्य यूरोपीय नेताओं से मुलाकात करेंगी। वहीं जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ भी वॉशिंगटन में मौजूद रहेंगे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर, फ़िनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रूट भी इस चर्चा में शामिल हो रहे हैं।
एजेंडा क्या होगा?
इस मीटिंग में कई अहम मुद्दों पर बातचीत होगी। इसमें यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी, क्षेत्रीय स्थिरता और युद्ध में लगातार सहयोग बनाए रखने जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। नेताओं का मानना है कि पुतिन की शर्तों को सीधे मान लेना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि रूस इस तरह दबाव बनाकर अपने फायदे निकालना चाहता है।
पुतिन की शर्तें और विवाद
अलास्का में हुई समिट में पुतिन ने अमेरिका से कहा था कि अगर यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी दी जाए और नाटो की सदस्यता रोकी जाए तो शांति समझौता हो सकता है। साथ ही उन्होंने यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र को रूस के हवाले करने की मांग रखी। लेकिन ज़ेलेंस्की ने साफ कहा कि यूक्रेन अपनी कोई भी ज़मीन नहीं छोड़ेगा, क्योंकि संविधान इसकी अनुमति नहीं देता।
यूरोपीय नेताओं की चिंता
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि यह बैठक यूरोपीय देशों और यूक्रेन के बीच एक संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए है। उनका कहना है कि अगर अभी रूस के आगे झुका गया, तो भविष्य में और भी बड़े संकट खड़े होंगे। इसलिए किसी भी समझौते में यूक्रेन की अखंडता का सम्मान ज़रूरी है।
ट्रंप पर टिकी निगाहें
सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप क्या रुख अपनाते हैं। अलास्का समिट में उन्होंने पुतिन के कई सुझाव सुने थे, लेकिन अब यूरोपीय देशों और ज़ेलेंस्की के दबाव में उनका रुख बदल सकता है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि अभी शांति समझौते तक पहुँचने के लिए लंबा रास्ता तय करना बाकी है, क्योंकि कई अहम मुद्दों पर मतभेद बने हुए हैं।
आज की बैठक से उम्मीद की जा रही है कि यूक्रेन युद्ध के समाधान की दिशा में कोई ठोस पहल हो। अगर यूरोपीय नेता और अमेरिका मिलकर कोई साझा रणनीति बनाते हैं, तो पुतिन पर दबाव बढ़ सकता है। हालांकि शांति समझौते तक पहुँचना अभी भी आसान नहीं होगा।