न्यूज़ वन इंडिया, ब्यूरो रिपोर्ट: ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में एक आशियाना हो इसका सपना कौन नहीं देखता लेकिन इस सपने की कीमत चुकाना कई बार लोगों को भारी पड़ जाता है। क्योंकि ग्रेटर नोएडा में बिल्डर और भू-माफिया का ऐसा सिंडिकेट सक्रिय है जिसके आगे प्राधिकरण तक बेबस दिखता है।
आपरेशन बिसरख में न्यूज 1 इंडिया भू माफिया के ऐसे ही खेल का पर्दाफाश करेगा और बताएगा कि कैसे प्राधिकरण की जमीनों पर भू-माफिया ने बिल्डिंगें खड़ी कर ली और प्राधिकरण अपनी ही लुटती जमीनें नहीं बचा पाया।
जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी है। भूमाफियाओं का ये नारा ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) के बिसरख में सही साबित होता दिख रहा है। जहां बिल्डरों और भू माफिया ने ऐसा खेल खेला है कि अब प्राधिकरण को अपनी ही जमीनें लेने में पसीने छूट रहे हैं।
NEWS1 इंडिया पर बोले दादरी विधायक तेजपाल नागर
हमारे सीएम भू-माफियाओं के सख्त खिलाफ हैं- तेजपाल नागर
इसमें कार्रवाई की जा रही है-MLA तेजपाल नागर
अभी आगे और कार्रवाई की जाएगी-MLA तेजपाल नागर
‘सरकार सख्त एक्शन लेगी,कोई भू-माफिया नहीं बचेगा’@noida_authority @dmgbnagar… pic.twitter.com/YSPoszHD7P
— News1India (@News1IndiaTweet) October 5, 2024
भूमाफियाओं के खिलाफ सबसे बड़ी मुहीम
बिसरख में ऐसी ऐसी जमीनों पर कालोनी काट कर इमारतें खड़ी कर दी गई जिनका अधिग्रहण सालों पहले हो चुका है लेकिन प्राधिकरण जमीनों को अधिसूचित करके कुम्भकरणी नींद में सो गया और फायदा उठाया भू माफियाओं ने, जिन्होंने तो पहले नक्शों में हेराफेरी की और फिर जमीनों को बिल्डरों को बेच दिया। सोये हुए प्राधिकरण की नींद तब टूटी जब खुद मुख्यमंत्री ने मामले का संज्ञान लिया।
20-22 साल पहले जिन जमीनों का अधिग्रहण कर लिया गया था उनमें ही भू-माफिया और बिल्डरों ने ऐसा खेल खेला कि प्राधिकरण के तोते उड़ गए हैं। जिन जमीनों को अधिग्रहीत मान कर प्राधिकरण के अधिकारी चैन की नींद सो रहे थे उन जमीनों पर इमारतें आबाद हो चुकी है। इस तरह का सबसे बड़ा खेल बिसरख इलाके में हुआ है। इसमें से एक खसरा न 773 की कहानी आपको बताते हैं।
क्या प्राधिकरण भी है शामिल?
लेकिन असली खेल इसके बाद शुरू हुआ। भू माफिया की निगाह इस जगह पर जमी हुई थी। लिहाज़ा इसके बाद शुरू हुआ नक्शों में हेराफेरी का खेल और बताने की जरूरत नहीं कि नक्शों की हेराफेरी बगैर प्राधिकरण में बैठे लोगों की मदद के मुमकिन नहीं है। जो लोग यहां मुआवजा पा चुके थे उनकी भी जमीनों को नक्शे में दूसरी जगह दिखाकर उनकी रजिस्ट्री करा दी गई और फिर इन जमीनों को बिल्डरों को बेच दिया गया।
बिल्डरों ने जमीनें पाते ही उस पर बिल्डिंगें खड़ी कर दी और फ्लैट बेच भी दिए। कहना ग़लत नहीं होगा कि बिसरख में जो भी खेल हुआ है वो केवल बिल्डरों और भू माफिया के गठजोड़ का नतीज़ा भर नहीं है बल्कि इसमें प्राधिकरण के लोगों की मिलीभगत भी है। ऐसे में देखना होगा कि जांच में सिर्फ छोटी मछलियां ही फंसती है या बड़े मगरमच्छों पर भी शिकंजा कसता है।