One Inch Shift Can Change India Map:भारत की टेक्टोनिक प्लेट हर साल करीब 4 से 5 सेंटीमीटर की रफ्तार से यूरेशियन प्लेट की तरफ बढ़ रही है। यही वजह है कि हिमालय की ऊंचाई लगातार बढ़ती जा रही है। यह धीमी गति का टकराव भारत, नेपाल और पड़ोसी देशों में अक्सर आने वाले भूकंपों का कारण बनता है। सबसे ज्यादा चिंता तब होती है जब प्लेटों के किनारे आपस में फंस जाते हैं और अचानक झटके के साथ खिसक जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार अगर प्लेटें एक इंच भी अचानक खिसक गईं, तो नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
पाँच बड़े बदलाव जो दिख सकते हैं
महाविनाशकारी भूकंप
प्लेटों का लॉक होकर अचानक खिसकना एक बड़े भूकंप को जन्म देगा। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.5 या उससे भी ज्यादा हो सकती है। यह झटका उत्तर भारत और हिमालयी इलाकों में लाखों लोगों की जान और बुनियादी ढांचे के लिए बड़ा खतरा बनेगा।
उत्तर भारत की जमीन का बदलना
तेज भूकंप के बाद जमीन के नीचे मौजूद फॉल्ट लाइन्स सक्रिय हो सकती हैं। इससे उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों की भौगोलिक बनावट स्थायी रूप से बदल सकती है। कुछ जगहें धंस सकती हैं तो कहीं नए भूभाग उभर सकते हैं।
नदियों के रास्तों में बदलाव
भूकंपीय हलचल नदियों के बहाव को प्रभावित कर सकती है। गंगा, यमुना और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों का रास्ता अचानक बदल सकता है। कहीं बाढ़ की स्थिति बनेगी तो कहीं सूखे का संकट पैदा हो सकता है। बिहार और यूपी जैसे निचले इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।
भूस्खलन और झील फटने का खतरा
हिमालयी इलाकों में भूकंप के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन हो सकते हैं। इससे नदियों का बहाव रुककर कृत्रिम झीलें बन सकती हैं। जब ये झीलें टूटेंगी तो अचानक आई बाढ़ से निचले इलाकों में भारी तबाही हो सकती है।
दरारों का खुलना और गर्म झरनों का उभरना
प्लेटों के खिसकने से पुरानी दरारें खुल सकती हैं। इससे जमीन के भीतर मौजूद गैसें और गर्म पानी बाहर निकल सकता है। कहीं नए गर्म पानी के झरने फूट सकते हैं तो कहीं मौजूदा झरने खत्म हो सकते हैं, जिससे इलाके के जल संसाधनों और पर्यावरण पर असर पड़ेगा।
तैयारी क्यों है जरूरी
भूगर्भीय तनाव लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस संभावित खतरे को देखते हुए भारत को भूकंप-रोधी इमारतें बनाने, लोगों में जागरूकता फैलाने और आपदा प्रबंधन व्यवस्था को मजबूत करने की तुरंत जरूरत है। एक इंच का खिसकाव केवल नक्शा ही नहीं बदलेगा, बल्कि देश के भविष्य को भी चुनौती देगा।