नई दिल्ली। पीएम मोदी ने रिश्वत के मामलों में सांसदों को छूट देने के Supreme Court के फैसले की सराहना की। पीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह महान फैसला है जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और सिस्टम में लोगों का विश्वास गहरा करेगा।
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रिश्वतखोरी को छूट नहीं दी जा सकती : कोर्ट
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि कोई सांसद या विधायक, संसद या विधान सभा में वोट या भाषण के के लिए रिश्वत के आरोप में संविधान के अभियोजन से छूट का दावा नहीं कर सकता है। कोर्ट ने सभी न्यायाधीशों के संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से पीवी नरसिम्हा राव मामले में 1998 के फैसले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि विधायकों द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी भारतीय संसदीय लोकतंत्र के कामकाज को भ्रष्ट करती है और उसे दागदार करती है। CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने अनुच्छेद 105 या 194 का हवाला देते हुए कहा कि रिश्वतखोरी को छूट नहीं दी जा सकती।
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Supreme Court ने क्या कहा ?
मामले में सुनवाई करते हुए CJI ने कहा कि “रिश्वतखोरी में लिप्त एक सदस्य आपराधिक कृत्य में शामिल होता है जो वोट देने या विधायिका में भाषण देने के लिए आवश्यक नहीं है और पीवी नरसिम्हा फैसले की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के विपरीत है। अदालत ने कहा कि प्रश्नगत मुद्दे पर जो व्याख्या की गई है उसमें बहुमत के फैसले के परिणामस्वरूप एक विरोधाभासी परिणाम सामने आता है, जहां एक विधायक को रिश्वत स्वीकार करने और सहमत दिशा में मतदान करने पर प्रतिरक्षा प्रदान की जाती है। जो अनुच्छेद 105 और 194 के विपरीत है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि रिश्वत का अपराध अवैध परितोषण लेने पर स्पष्ट होता है और यह इस पर निर्भर नहीं करता है कि वोट या भाषण बाद में दिया गया है या नहीं।