महाराष्ट्र में नेहरू नाम पर सियासी संग्राम! वरली मेट्रो स्टेशन का नाम बदलने से बढ़ा बवाल

मुंबई मेट्रो-3 के वरली स्टेशन से ‘नेहरू’ नाम हटाए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने इसे पंडित नेहरू का अपमान करार दिया है, जबकि बीजेपी का कहना है कि स्टेशन का नाम पहले से ही ‘साइंस सेंटर’ रखने का प्रस्ताव था।

Jawahar Lal Nehru

Jawahar Lal Nehru : महाराष्ट्र की राजनीति में अब एक नया विवाद जोर पकड़ता नजर आ रहा है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। दरअसल, मुंबई मेट्रो-3 के वरली मेट्रो स्टेशन से ‘नेहरू’ शब्द हटाने के फैसले ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। कांग्रेस ने इस कदम को नेहरू जी का अपमान बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है, जबकि बीजेपी का कहना है कि स्टेशन का नाम शुरू से ही ‘साइंस सेंटर’ के रूप में प्रस्तावित था और इसमें किसी तरह की राजनीतिक मंशा नहीं है।

महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि वरली इलाके में स्थित यह स्थान वर्षों से ‘नेहरू साइंस सेंटर’ के नाम से जाना जाता रहा है। यहां तक कि मेट्रो-3 परियोजना के आधिकारिक दस्तावेजों में भी इस स्टेशन को ‘नेहरू साइंस सेंटर’ के रूप में दर्ज किया गया था। पार्टी का कहना है कि बीजेपी को ‘नेहरू’ नाम से परहेज है, इसलिए जानबूझकर नाम से यह शब्द हटाया गया है। कांग्रेस नेताओं ने इसे देश के पहले प्रधानमंत्री और भारत रत्न नेहरू की स्मृति का अपमान करार दिया है और चेतावनी दी है कि यदि स्टेशन का नाम फिर से ‘नेहरू साइंस सेंटर’ नहीं रखा गया, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।

बीजेपी का पलटवार – “कांग्रेस फैला रही है फेक नरेटिव”

वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है। मुंबई बीजेपी अध्यक्ष अमित साटम ने वर्ष 2013 के सरकारी गजट की कॉपी साझा करते हुए कहा कि उस समय जब कांग्रेस की सरकार थी, तभी इस मेट्रो स्टेशन का नाम ‘साइंस म्यूजियम’ प्रस्तावित किया गया था — और तब भी ‘नेहरू’ शब्द शामिल नहीं था। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस राजनीतिक लाभ के लिए झूठा नैरेटिव बना रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि नाम बदलने का कोई मामला ही नहीं है।

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सियासत में खुला नया मोर्चा

वरली मेट्रो स्टेशन के नाम को लेकर शुरू हुआ यह विवाद अब महाराष्ट्र की सियासत में नया मुद्दा बन गया है। कांग्रेस इसे इतिहास और विरासत से छेड़छाड़ बता रही है, जबकि बीजेपी इसे विपक्ष की राजनीतिक नौटंकी करार दे रही है। इस विवाद के चलते मुंबई की मेट्रो परियोजना अब केवल यातायात का नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतीकात्मकता का केंद्र बन गई है।

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