नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। लोकसभा में मंगलवार को ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पेश किया गया। इस दौरान बिल को लेकर सदन में मतदान हुआ। पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इस मौके पर बीजेपी के 20 सांसद सदन में अनुपस्थित रहे। जिसको लेकर पार्टी ने सभी सांसदों को नोटिस भेजा है। जल्द ही सांसदों को पूरे प्ररकरण पर जवाब देना होगा।
20 सांसद सदन से अनुपस्थित रहे
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने ’वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल का मसौदा तैयार कर केंद्र सरकार को सौप दिया था। मोदी कैबिनेट ने मिल को मंजूरी मिल गई। मंगलवार को लोकसभा में ’वन नेशन-वन इलेक्शन’ पेश किया गया। इस मौके पर बीजेपी के 20 सांसद सदन से अनुपस्थित रहे। जिसको लेकर बीजेपी ने सभी को नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया गया है। वहीं बिल लोकसभा से पास हो गया। जिसके बाद ’वन नेशन-वन इलेक्शन’ को जेसीपी के पास भेज दिया गया।
कानून मंत्री ने पेश किए बिल
बता दें, बीजेपी ने मंगलवार को अपने लोकसभा सदस्यों को सदन में मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हीप जारी किया था। एक देश, एक चुनाव’ के लिए मंगलवार को सरकार संसद में ’संविधान विधेयक 2024’ और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 लेकर आई। लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ये बिल पेश किए। लोकसभा में जोरदार हंगामे के बीच बात डिवीजन तक पहुंची और इसके बाद ये बिल सदन में पेश हो सका। एक देश, एक चुनाव पर राजनीतिक दलों के सुर अलग-अलग सुनाई दिए।
ये सांसद रहे अनुपस्थित
लोकसभा में यह बिल पेश किए जाने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इस दौरान बीजेपी के सांसद जगदंबिका पाल, शांतुनु ठाकुर, बीएस राघवेंद्र, गिरीराज सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, विजय बघेल, भागीरथ चौधरी (मंत्री हैं, पीएम के प्रोग्राम में जयपुर थे), उदयराजे भोंसले, जयंत कुमार रॉय, जगन्नाथ सरकार सदन से अनुपस्थित रहे। बीजेपी की तरफ से इस पर बडा एक्शन लिया गया है। पार्टी ने नोटिस जारी कर सांसदों से जवाब मांगा है।
एक कमेटी का गठन
देशभर में एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर पिछले साल सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसी साल सितंबर में मोदी कैबिनेट ने इस रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। इस रिपोर्ट में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा और पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाने को लेकर सुझाव दिए गए थे। जिसका विपक्षी दलों की तरफ से विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस ने इस गैर संवैधानिक करार दिया है।